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रेंजर की कुर्सी से करोड़ों का खेल! ठेकेदार की पत्नी के नाम फर्म, अफसरों की छत्रछाया में मुनारा घोटाला , 3 दिन की जांच 30 दिन में भी शुरू नहीं__

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रेंजर की कुर्सी से करोड़ों का खेल! ठेकेदार की पत्नी के नाम फर्म, अफसरों की छत्रछाया में मुनारा घोटाला , 3 दिन की जांच 30 दिन में भी शुरू नहीं
मरवाही : – मरवाही वनमंडल अंतर्गत करोड़ों रुपये के मुनारे निर्माण घोटाले की जांच अब गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। वन विभाग द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया था कि सोशल मीडिया पर सामने आई शिकायत के आधार पर गठित जांच समिति तीन दिवस के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद जांच शुरू तक नहीं हो पाई है।
जब इस गंभीर अनियमितता को लेकर वनमंडलाधिकारी (DFO) से जवाब तलब किया गया, तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि जांच का जिम्मा एसडीओ को सौंपा गया है। लेकिन जांच कब होगी, कौन करेगा और अब तक क्यों नहीं हुई इन सवालों पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। करोड़ों के इस घोटाले को लेकर विभागीय स्तर पर केवल फाइलें घुमाई जा रही हैं।
रेंजर के संरक्षण में फल-फूल रहा ठेकेदार! –
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जिस क्षेत्र में यह पूरा घोटाला हुआ है, वहाँ पदस्थ वनपरिक्षेत्राधिकारी प्रबल दुबे का खुला संरक्षण ठेकेदार बॉबी शर्मा को प्राप्त है। बताया जा रहा है कि बॉबी शर्मा विभाग का इकलौता चहेता ठेकेदार बन चुका है। हालात इतने गंभीर हैं कि ठेकेदार रेंजर की कुर्सी पर बैठता है, DFO के चेंबर में बिना अनुमति आवाजाही करता है, और विभागीय कार्यों में खुला हस्तक्षेप करता है।
सूत्रों का दावा है कि DFO से लेकर निचले स्तर तक मैनेजमेंट सिस्टम खड़ा किया गया है, इसी वजह से करोड़ों के घोटाले की जांच आज तक आगे नहीं बढ़ पाई।
तबादला रोकने के लिए रायपुर में चढ़ावा! –
विभाग के ही एक आला अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संबंधित रेंजर ने अपना तबादला रुकवाने के लिए रायपुर में एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया। बताया जा रहा है कि इस सेटिंग में करीब 3 लाख रुपये खर्च किए गए, ताकि कुर्सी बची रहे।
अब सवाल यह है कि जब कुर्सी बचाने में ही लाखों रुपये खर्च किए गए, तो करोड़ों के मुनारे घोटाले में कितनी बड़ी रकम का खेल हुआ होगा इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। पत्नी के नाम पर फर्म, ठेके की असली कहानी जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आया है कि ठेकेदार बॉबी शर्मा अपनी पत्नी के नाम से AR इंटरप्राइजेस नामक फर्म संचालित कर रहा है। इस बात की पुष्टि स्वयं DFO द्वारा की गई है। इसके बावजूद ठेकों की प्रक्रिया की जांच नहीं हुई, सामग्री की रॉयल्टी जमा हुई या नहीं, इसका सत्यापन नहीं हुआ, निर्माण मानकों और स्थल निरीक्षण पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सवालों के घेरे में पूरा वन विभाग –
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब जांच के स्पष्ट आदेश थे, तो रिपोर्ट क्यों नहीं आई?
क्या करोड़ों के घोटाले को जानबूझकर दबाया जा रहा है? क्या रेंजर–ठेकेदार–अफसरों की सांठगांठ ने जांच को बंधक बना लिया है? यदि समय रहते निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह मामला केवल मुनारे घोटाले तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे वन विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न बन जाएगा।
Saket Verma
Author: Saket Verma

A professional journalist

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