Search
Close this search box.

विक्षिप्त महिला से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास, 1000 रुपये जुर्माना___प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ज्योति अग्रवाल ने सुनाया फैसला

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

विक्षिप्त महिला से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास, 1000 रुपये जुर्माना___प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ज्योति अग्रवाल ने सुनाया फैसला
पेंड्रा। मानसिक रूप से अस्वस्थ युवती के साथ दुष्कर्म के मामले में अदालत ने बड़ा और कड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी परमेश्वरदीन श्रीवास को आजीवन कारावास एवं 1000 रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। यह फैसला प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति अग्रवाल की अदालत ने सुनाया।
घटना का विवरण:
मामला थाना मरवाही क्षेत्र के ग्राम बंशीलाल का है, जहां सरपंच चैनसिंह सरोता की दुकान के बरामदे में रह रही मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला के साथ 24 अगस्त 2024 की रात करीब 10.30 बजे दुष्कर्म की घटना हुई। आरोपी परमेश्वरदीन श्रीवास ने मौके का फायदा उठाकर महिला को जमीन पर पटक दिया और जबरन बलात्कार किया।
महिला के शोर मचाने पर आसपास के लोगों ने आवाज सुनी। एक स्थानीय निवासी ने मोबाइल से सरपंच चैनसिंह सरोता के पुत्र बबलू उर्फ हरवंश सरोता को सूचना दी। सूचना मिलते ही सरपंच का परिवार और ग्रामीण मौके पर पहुंचे और आरोपी को पकड़ लिया। पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगी और दो बार पैर पकड़कर विनती भी की।
पुलिस कार्रवाई: पीड़िता की लिखित शिकायत के आधार पर थाना मरवाही पुलिस ने 25 अगस्त 2024 को आरोपी के खिलाफ अपराध क्रमांक 196/2024 दर्ज कर भारतीय दंड संहिता की धारा 64(1) के तहत मामला कायम किया। पुलिस ने घटनास्थल से आरोपी द्वारा फेंके गए अंदरूनी कपड़े, लोअर पैंट व अन्य वस्त्र जब्त कर साक्ष्य के रूप में अदालत में पेश किए।
अदालत में सुनवाई:
गवाहों के बयान, पीड़िता की मानसिक स्थिति और घटनास्थल से मिले भौतिक साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने अभियोजन पक्ष के मामले को संदेह से परे सिद्ध माना और आरोपी को दोषी करार दिया।
सजा का ऐलान: न्यायालय ने माना कि आरोपी ने पीड़िता की इच्छा और सहमति के बिना अत्यंत जघन्य अपराध किया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 64(2)(c) के तहत आरोपी को आजीवन कारावास तथा 1000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। जुर्माना अदा न करने पर तीन माह के अतिरिक्त सश्रम कारावास का प्रावधान भी रखा गया है।
शासन की ओर से पैरवी: इस प्रकरण में शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक कौशल सिंह ने पैरवी की।
न्यायालय की टिप्पणी: फैसले में अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में न्यूनतम सजा न्याय की पूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं होती। समाज में कड़ा संदेश देने के लिए कठोर सजा आवश्यक है।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

और पढ़ें