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KORBA BREAKING | कटघोरा वनमंडल में भ्रष्टाचार का खुला खेल: SDO संजय त्रिपाठी और रेंजर रामनिवास दहायत पर बोगस भुगतान, सरकारी पैसे की लूट के गंभीर आरोप, EOW-ED में शिकायत

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कटघोरा | विशेष रिपोर्ट: कटघोरा वनमंडल एक बार फिर भारी भ्रष्टाचार, घोटालों और संगठित घोटाले के कारण सुर्खियों में है। इस बार नाम सामने आया है—एसडीओ संजय त्रिपाठी और रेंजर रामनिवास दहायत का, जिनके खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) तक शिकायत पहुंच चुकी है। इन दोनों अधिकारियों पर सरकारी धन की बोगस पेमेंट और कमीशनखोरी के जरिए भारी आर्थिक घोटाले का आरोप लगा है।
बिना काम के भुगतान, फिर 50% की मांग
जानकारी के अनुसार, एक व्यावसायिक फर्म के खाते में मई 2025 में ₹81,758 की फर्जी ट्रांजैक्शन की गई, जबकि उस फर्म ने न कोई कार्य किया, न कोई सप्लाई, न ही बिल जमा किया। इसके बाद एसडीओ-रेंजर के लोगों द्वारा बार-बार 50% रकम लौटाने का दबाव डाला गया। पीड़ित संचालक ने पूरी राशि शासन को लौटाने की इच्छा जताई है और आरोपियों को सेवा से बर्खास्त करने की मांग की है।
“कमीशन सिंडिकेट’ चला रहे अफसर, ठेकेदारों-सप्लायरों का शोषण
वन विभाग में कार्यरत ठेकेदार, मजदूर और सप्लायरों को भी समय पर भुगतान नहीं मिल रहा, जब तक वे “सही काम के भी भुगतान” के लिए कमीशन नहीं चुकाते। वहीं दूसरी तरफ बिना काम हुए, अधूरे काम और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों की राशि उड़ाई जा रही है। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिनमें काम का कोई अस्तित्व ही नहीं, लेकिन भुगतान पूरा किया गया।
दलालों का कब्जा, केंदई रेंज भी घेरे में
सूत्र बताते हैं कि कटघोरा वनमंडल में कुछ स्थायी दलालों का सिंडिकेट काम कर रहा है, जो अफसरों से सांठगांठ कर यह तय करता है कि ठेका किसे मिलेगा, किससे कितनी वसूली की जाएगी। दलाल ही फर्जी फर्म बनवाते हैं, और फिर उनके खातों में सरकारी पैसा डलवाकर मोटी रकम हड़प लेते हैं। केंदई रेंज में अपने परिजनों के खातों में राशि ट्रांसफर किए जाने की पुष्टि भी हो चुकी है।
कुटेशरनगोई घोटाला बना था उदाहरण, पर कार्रवाई जीरो
पिछले वर्ष कुटेशरनगोई तालाब खुदाई प्रकरण में भी बीटगार्ड प्रद्युम्न सिंह ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर मजदूरी राशि डलवाकर शासन को चूना लगाया था। मामला खुला, जांच हुई, पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। आज वही खेल केंदई रेंज में दोहराया जा रहा है।
सवाल जनता और सरकार से:
आखिर बिना काम हुए भुगतान की स्वीकृति कैसे हुई?वनमंडल अधिकारी, CF और PCCF क्या इन सब पर आंख मूंदे बैठे हैं?दलालों का आतंक क्या अफसरों की मिलीभगत के बिना संभव है?
ED और EOW कब तक केवल शिकायतें देखती रहेगीं?
कटघोरा वनमंडल अब एक विभाग नहीं, भ्रष्टाचार की फैक्ट्री बन चुका है। जब तक संजय त्रिपाठी, रामनिवास दहायत जैसे अधिकारियों पर तत्काल निलंबन और गिरफ्तारी जैसी सख्त कार्रवाई नहीं होती, सरकारी धन की ये लूट थमती नहीं दिख रही।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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