Search
Close this search box.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और सरगुजा में बी-1 रिकॉर्ड घोटाले की पटकथा एक जैसी – शिक्षिका, पटवारी समेत 3 गिरफ्तार, पर GPM में फर्जीवाड़े दबाए जा रहे

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

सरगुजा/कुसमी/गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: सरगुजा जिले के कुसमी तहसील में सामने आए एक बड़े भूमि घोटाले में शिक्षिका, उनके पुत्र और तत्कालीन पटवारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। सरकारी ज़मीन को फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे हड़पने की इस कोशिश का खुलासा तहसीलदार की शिकायत पर हुआ। जांच में पता चला कि आरोपियों ने वर्ष 2013-14 के बी-1 रिकॉर्ड में कूटरचना कर अपने नाम चढ़वा लिया था।
गिरफ्तार आरोपियों में शिक्षिका सरस्वती गुप्ता, उनका बेटा अंबिकेश गुप्ता, और हल्का पटवारी बिहारी कुजूर शामिल हैं। तीनों ने सरकारी ज़मीन को हड़पने के लिए फर्जी आदेश और दस्तावेज तैयार कर उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत किया, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को भी भ्रमित किया गया। नायब तहसीलदार पारस शर्मा की जांच में जब फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई, तब संबंधित धाराओं – 420, 467, 468, 471, 120-B, 34 – के तहत केस दर्ज कर तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
-गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में भी हो चुकी है इसी तरह की ज़मीन हेराफेरी, पर अब तक FIR नहीं
इस घोटाले की परछाईं गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) ज़िले में पहले से मौजूद है।
कोटखर्रा तहसील, पेंड्रा रोड क्षेत्र में तत्कालीन पटवारी रवि जोगी कुजूर द्वारा भी ऐसी ही सरकारी मद भूमि को फर्जी नामांतरण कराकर अपने सहयोगियों के नाम कर दिया गया था। इसके बाद उन नामों पर बैंकों से लाखों रुपये का ऋण उठाया गया, जो कि एक सुनियोजित आर्थिक अपराध है।
यही नहीं, हाल ही में मरवाही तहसील के चगेरी गाँव में भी शासकीय भूमि से छेड़छाड़ कर हेराफेरी की गई, लेकिन प्रशासन ने ना FIR की और ना ही किसी कर्मचारी पर कार्रवाई, जिससे भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं। इन पुराने मामलों को प्रभावशाली रसूख और मिलीभगत से रफा-दफा कर दिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार को संरक्षण मिल रहा है।
अब वक्त है राज्य स्तरीय हस्तक्षेप का
GPM और सरगुजा जैसे जिलों में लगातार सामने आ रहे भूमि फर्जीवाड़ों की श्रृंखला यह संकेत देती है कि यह महज़ स्थानीय स्तर की गलती नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था में भ्रष्टाचार की गहरी पैठ है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह इन मामलों की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) या विशेष जांच दल (SIT) से करवाए, ताकि सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि पूरी साजिश का नेटवर्क उजागर हो सके।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

और पढ़ें