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पार्ट 2! किसकी लापरवाही? एक साल तक क्यों लंबित रहा श्रीयता कुरोठे का मामला — जवाबदेही से भागता रहा प्रशासन!

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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीयता कुरोठे के खिलाफ फर्जीवाड़ा, सेवा नियमों का उल्लंघन और अवैध प्लॉटिंग जैसे गंभीर आरोपों की शिकायत वर्ष 2024 में ही की जा चुकी थी। बावजूद इसके, 15 महीनों तक न तो प्राथमिक जांच हुई, न ही कोई विभागीय कार्रवाई या एफआईआर। सवाल उठता है — आखिर यह लापरवाही किसकी थी?
1. जिला प्रशासन: सबसे बड़ी जिम्मेदारी
शिकायत सीधे जिला प्रशासन को दी गई थी। जिलाधिकारी (कलेक्टर), जिन्हें ऐसी शिकायतों पर संवैधानिक और प्रशासनिक स्तर पर तत्काल कार्रवाई करनी होती है, उन्होंने इस पूरे मामले को एक साल तक दबाकर रखा। ना तो प्रारंभिक जांच के आदेश दिए, और ना ही संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी।
2. संबंधित विभाग – आयुष एवं स्वास्थ्य विभाग
चूंकि श्रीयता कुरोठे आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं, उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जिम्मेदारी आयुष विभाग की थी। लेकिन न तो विभाग को इस मामले की जानकारी भेजी गई और न ही विभाग ने खुद कोई स्वतः संज्ञान लिया। इससे यह प्रतीत होता है कि या तो विभाग को जानकारी ही नहीं दी गई, या उन्होंने जानबूझकर चुप्पी साधी।
3. एसडीएम कार्यालय – निष्क्रियता बनी रही
पूरे एक साल तक सबसे निचले स्तर पर भी कोई विभागीय हलचल नहीं दिखी। जबकि ऐसी शिकायतें एसडीएम स्तर पर आते ही आगे की प्रक्रिया प्रारंभ होनी चाहिए। लेकिन यहां 14 जुलाई 2025 को तब जाकर नोटिस जारी हुआ, जब RTI के ज़रिए दबाव बनाया गया।
4. जनसूचना अधिकारी – जानकारी छुपाई गई
08 जुलाई 2025 को जब आरटीआई के माध्यम से जवाब मांगा गया, तो 17 जुलाई को जो उत्तर दिया गया उसमें भी “जांच लंबित है” कहकर स्पष्ट जानकारी देने से बचा गया। इससे साफ है कि सूचना देने के दायित्व से भी बचने की कोशिश की गई।
तो क्या जिला प्रशासन ने जानबूझकर मामला दबाया?
सभी दस्तावेजों और घटनाक्रमों की समयरेखा इस बात की ओर संकेत करती है कि यह लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित चुप्पी थी। ऐसे संगीन आरोपों पर भी यदि कोई तत्काल जांच नहीं होती, और शिकायत के बाद एक साल तक फाइलें धूल फांकती रहती हैं, तो यह न सिर्फ प्रशासनिक असफलता है, बल्कि संभावित संरक्षण और मिलीभगत का संकेत भी है।
अब यह आवश्यक हो गया है कि शासन यह स्पष्ट करे कि
एक साल तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
किन अधिकारियों ने इस शिकायत को दबाया?
क्या किसी स्तर पर जानबूझकर देरी की गई?
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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