बिना दस्तखत 24 लाख से अधिक की सरकारी राशि गायब! जांच में तत्कालीन CEO पेंड्रा डॉ. संजय शर्मा दोषी, कलेक्टर ने की निलंबन की अनुशंसा — बैंक की भूमिका भी संदिग्ध
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। पेंड्रा ब्लॉक में सरकारी धन के दुरुपयोग का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन और बैंकिंग सिस्टम दोनों की पोल खोल दी है। सर्व शिक्षा अभियान निर्माण मद का एक्सिस बैंक में संचालित खाता केवल CEO जनपद पंचायत पेंड्रा और BRCC पेंड्रा के संयुक्त हस्ताक्षर से ही चल सकता है, लेकिन नियमों को दरकिनार कर BRCC के दस्तखत के बिना ही इस खाते से तीन अलग-अलग किस्तों में 24 लाख रुपये से अधिक की राशि निकाल ली गई।
यह खुलासा तब हुआ, जब इस साल मार्च में राज्य सरकार ने बची हुई राशि वापस मांगी। BRCC पेंड्रा ने अपना बैंक स्टेटमेंट देखा तो पाया कि सितंबर 2024 में 2 लाख, दिसंबर 2024 में 20 लाख और जनवरी 2025 में 2 लाख 28 हजार 739 रुपये उनके दस्तखत के बिना ही आहरित कर लिए गए थे। तुरंत इसकी शिकायत कलेक्टर को की गई, जिसके बाद डीईओ ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी।
जांच रिपोर्ट ने मामले को और गंभीर बना दिया। समिति ने पाया कि तत्कालीन CEO पेंड्रा डॉ. संजय शर्मा और करारोपण अधिकारी जनपद पंचायत पेंड्रा के हस्ताक्षर मात्र से यह पूरी निकासी की गई, जबकि खाता BRCC और CEO के संयुक्त हस्ताक्षर से ही संचालित होना चाहिए था। जांच में सामने आया कि कुल 4,28,739 रुपये की निकासी में से सिर्फ 1,59,000 रुपये वापस खाते में जमा कराए गए, जबकि 20 लाख रुपये एक अन्य बैंक में ट्रांसफर कर दिए गए, जो वित्तीय अनियमितता की गंभीर श्रेणी में आता है।
जांच में दोषी पाए जाने के बाद कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी ने तत्कालीन CEO डॉ. संजय शर्मा के निलंबन की अनुशंसा करते हुए बिलासपुर संभागायुक्त को प्रतिवेदन भेज दिया है। वहीं जनपद पंचायत पेंड्रा के सहायक वर्ग-03 दीपक तिवारी और लेखापाल रामेंद्र शुक्ला की वेतन वृद्धि रोक दी गई है।
इस घोटाले ने एक्सिस बैंक की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर बिना अनिवार्य संयुक्त हस्ताक्षर के एक बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार बड़ी राशि का आहरण कैसे हो गया? बैंक की अनुमति और निगरानी प्रणाली पर गंभीर संदेह है कि कहीं बैंक भी इस गड़बड़ी में मौन भागीदार तो नहीं रहा।
सिर्फ निलंबन क्यों… अपराध दर्ज क्यों नहीं?
जब जांच में दोष सिद्ध हो चुका है, तो FIR दर्ज करने से प्रशासन क्यों बच रहा है? भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और IPC की धारा 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज होना चाहिए था, लेकिन अभी तक सिर्फ निलंबन की बात हो रही है। क्या घोटालेबाज़ों को समय देकर सबूत मिटाने का मौका दिया जा रहा है?

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT