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GAURELA PENDRA MARWAHI भ्रष्टाचार की सबसे घिनौनी पराकाष्ठा: शिक्षक शंकर प्रजापति ने सरकारी संरक्षित वन भूमि पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर विक्रय की योजना बना डाली, प्रशासन दो साल से बना रहा मूकदर्शक,,,

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शिक्षक की मिलीभगत से बड़े झाड़ जंगल मद की संरक्षित भूमि पर फर्जी पंजीयन, विक्रय की तैयारी – संभावित खरीददार की भी तलाश जारी, दो साल से प्रशासन की निष्क्रियता पर गहराते सवाल
गौरेला-पेंड्रा मरवाही। छत्तीसगढ़ के सकोला तहसील अंतर्गत ग्राम सेखवा में एक सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है, जिसमें सरकारी संरक्षित बड़े झाड़ के जंगल मद की भूमि को फर्जी दस्तावेज बनाकर शिक्षक शंकर प्रजापति ने अपने और पत्नी के नाम पंजीकृत कर लिया। अब इस भूमि को निजी स्वार्थ के तहत विक्रय की तैयारी में डाला जा रहा है, जहां संभावित खरीददार की भी पहचान की जा रही है।
यह विवादित भूमि पेंड्रा से मरवाही मुख्य मार्ग पर स्थित है और मूलतः बड़े झाड़ के जंगल मद के अंतर्गत आती थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और वन संरक्षण अधिनियम 1980 के सख्त प्रावधानों के बावजूद इस संरक्षित भूमि के मद परिवर्तन के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसे विक्रय प्रक्रिया में डाल दिया गया।
वर्ष 2023 में इसकी शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि यह भूमि संरक्षित जंगल मद की श्रेणी में आती है और विक्रय के लिए उसकी तैयारी की जा रही है। इसके बावजूद जिला प्रशासन दो वर्षों से पूरी तरह निष्क्रिय बना रहा। न तो प्रभावी जांच की गई, न दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई।
इस हरकत ने पूरे खेल को और भी संदिग्ध बना दिया है। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिक्षक शंकर प्रजापति द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर संरक्षित वन भूमि को अपने नाम पंजीकृत करने के बाद विक्रय की पूरी तैयारी कर ली गई है।
स्थानीय प्रशासन द्वारा भी संभावित खरीददार की पहचान की जा रही है, जो इस अवैध संपत्ति को खरीदने के इरादे से सक्रिय नजर आ रहा है। वन विभाग और राजस्व विभाग के कई अधिकारियों की मिलीभगत के संकेत भी सामने आ चुके हैं। यह साफ हो चुका है कि यह पूरी प्रक्रिया योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दी गई थी।
स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और वन प्रेमी लगातार प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं कि गायब हुई फाइल को तुरंत ट्रेस किया जाए, भूमि को पुनः बड़े झाड़ के जंगल मद के रूप में अभिलेखित किया जाए, विक्रय की अवैध तैयारी को रोका जाए, और संभावित खरीददार की पूरी जानकारी सार्वजनिक की जाए। दोषी शिक्षक शंकर प्रजापति सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी तेज हो गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए, तो यह मामला वन संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन से बढ़कर राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार और संवैधानिक व्यवस्था के प्रति गंभीर चुनौती बन जाएगा।
जनमानस की निगाहें अब सीधे दोषियों और निष्क्रिय प्रशासन पर टिकी हुई हैं। आम जनता की उम्मीद है कि जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच कराकर न्याय सुनिश्चित किया जाएगा। यह मामला केवल वन भूमि संरक्षण का नहीं, बल्कि पूरे शासन तंत्र की पारदर्शिता और नैतिकता पर सवाल खड़ा कर चुका है।
Saket Verma
Author: Saket Verma

A professional journalist

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