गौरेला घोटाला: करोड़ों की लूट, फर्जी पत्र और जांच कमेटी की चुप्पी… अब मामला पंचायत मंत्री तक पहुंचा
गौरेला। जनपद पंचायत गौरेला की कई पंचायतों में 15वें वित्त आयोग की करोड़ों की राशि के गबन का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। गांवों में न सड़क बनी, न नाली, न पानी की व्यवस्था सुधरी — लेकिन कागज़ों पर विकास कार्य पूरे दिखाकर करोड़ों की निधि हड़प ली गई।
इस बीच घोटाले में फंसे ऑपरेटर दीपक जायसवाल ने सोशल मीडिया पर एक कथित आत्महत्या पत्र वायरल कर पूरे मामले को भटकाने की कोशिश की। पत्र की प्रामाणिकता पर संदेह है, और ग्रामीणों का साफ कहना है कि यह खुद को बचाने का नाटक है। जनप्रतिनिधि भी इसे एक सुनियोजित साजिश मान रहे हैं।
जांच कमेटी की उदासीनता___
शिकायत दर्ज हुए एक महीने से ज़्यादा बीत चुका है, लेकिन जांच कमेटी की ओर से न तो कोई रिपोर्ट आई और न ही दोषियों पर कार्रवाई हुई। यह उदासीनता प्रशासन की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
पंचायत मंत्री तक पहुंचा मामला___
जनपद पंचायत उपाध्यक्ष गायत्री राठौर और उनके प्रतिनिधि महेश राठौर ने कहा है कि जिला प्रशासन मामले को दबा रहा है। उन्होंने कलेक्टर और जिला सीईओ के बाद अब यह मामला सीधे पंचायत मंत्री के संज्ञान में पहुंचा दिया है। उनका कहना है कि जब स्थानीय स्तर पर प्रशासन चुप्पी साधे हुए है, तब मजबूरी में उन्हें राज्य स्तर पर आवाज उठानी पड़ी।
जनता का आक्रोश___
ग्रामीणों का कहना है कि पहले विकास निधि लूटी गई और अब फर्जी पत्र फैलाकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। उनका सवाल है — जब मामला पंचायत मंत्री तक पहुंच गया है, तो क्या अब भी दोषियों पर कार्रवाई होगी या एक बार फिर लीपापोती करके फाइल बंद कर दी जाएगी?
गौरेला की पंचायतों का करोड़ों का घोटाला अब स्थानीय दायरे से बाहर निकल चुका है। जांच कमेटी की चुप्पी और ऑपरेटर के फर्जी पत्र ने जनता का गुस्सा और भड़का दिया है। अब जब मामला पंचायत मंत्री तक पहुंच गया है, तो देखने वाली बात होगी कि क्या सच में कार्रवाई होगी या यह घोटाला भी सिस्टम की चुप्पी में दबा दिया जाएगा।
Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT











