कोरबा-कटघोरा। वन विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका ताजा उदाहरण कटघोरा वनमंडल के पसान रेंज से फिर सामने आया है। एक ओर जहां पिपरिया और सीपतपारा के रकबे से अधिक क्षेत्र में कराए गए फर्जी पौधारोपण का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था – जिसमें 45 लाख से अधिक की रिकवरी निकली – वहीं अब लैंगा सर्किल के सेमरा कक्ष पी-221 में दूसरे पौधारोपण घोटाले की स्क्रिप्ट लिखी जा रही है।
10 साल में एक ही जमीन पर दो बार पौधारोपण – क्यों?
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, जिस स्थान पर पांच साल पहले ही पौधारोपण और सुरक्षा घेरा (बाड़बंदी) बन चुकी है, उसी भूमि पर फिर से पौधारोपण और सुरक्षा घेरा कराया जा रहा है। यह सीधे-सीधे “कैम्पा मद” के फंड की दोहरी लूट को दर्शाता है।
खाद के नाम पर मिट्टी, सीमेंट की जगह लाल ईंट – बेशर्मी की हद!
सूत्रों का दावा है कि पौधारोपण में उपयोग की जाने वाली खाद (डीएपी और नीम खली) की जगह मिट्टी भरी बोरियां मौके पर पहुंचाई गईं। यही नहीं, फ्लाई ऐश सीमेंट की बजाय लाल ईंटों से मिट्टी की जोड़ाई कर चौकीदार कक्ष बनाया गया – क्योंकि “सीमेंट नहीं मिली”।
डिप्टी रेंजर नदारद, फिर किसके भरोसे हो रहा काम?
बताया जा रहा है कि पूरा काम डिप्टी रेंजर के भरोसे चल रहा है, जो अधिकांश समय बिलासपुर में रहते हैं और मुश्किल से ही पसान दफ्तर आते हैं। ऐसे में पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी और गुणवत्ता पर बड़ा सवाल है।
बिना बिजली के बोर – बेमतलब की खुदाई?
सेमरा की सिंचित रोपणी में लाखों रुपए खर्च कर बोर खुदवाया गया, जबकि 2 किलोमीटर के दायरे में बिजली ही नहीं है। पहले भी पिपरिया-सीपतपारा में बिना बिजली के दर्जनों बोर खुदवाए गए, जिन्हें आज तक चालू नहीं किया गया।
क्या वन मंत्री और DFO सबकुछ जानते हुए भी चुप हैं?
जब प्रधानमंत्री “माँ के नाम एक पेड़” जैसे जागरूकता अभियान को बढ़ावा दे रहे हैं, तब छत्तीसगढ़ में वन विभाग उसी पौधारोपण को भ्रष्टाचार का जरिया बना रहा है। सवाल है कि क्या वन मंत्री, DFO और SDओ सब कुछ जानते हुए भी चुप हैं, या फिर यह मिलीभगत का खेल है?

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT









