जिले में वैधता खत्म घाटों की आड़ में धड़ल्ले से अवैध रेत खनन, प्रशासन बना मौन दर्शक!
✍🏻 रिपोर्ट: तपेश्वर चन्द्रा,
कोरबा। कोरबा जिले में अवैध रेत खनन का कारोबार बेलगाम हो चुका है। खनिज विभाग की स्वीकृति प्राप्त घाटों की वैधता समाप्त होने के बावजूद जिले के कई क्षेत्रों में रेत का अवैध उठाव बदस्तूर जारी है। टेढ़ा, जटगा, बांगो, कटघोरा, उरगा, कुदमुरा, सीतामणी, खरवत, गोबरा, दर्री और कोरबा ब्लॉक तक अवैध खनन का जाल फैल चुका है। ये गोरखधंधा खनिज विभाग की मिलीभगत के बिना संभव नहीं माना जा रहा है।
वैध घाटों की वैधता समाप्त, फिर भी जारी अवैध उठाव
सूत्रों के अनुसार, कोरबा जिले में जिन रेत घाटों की वैधता 6 जून को समाप्त हो चुकी है, वहां से अब भी भारी मात्रा में रेत का परिवहन किया जा रहा है। आश्चर्यजनक यह है कि अवैध खनन उन्हीं घाटों की आड़ में किया जा रहा है, जिनकी समयसीमा समाप्त हो चुकी है। खनन माफिया रात के अंधेरे और दिन के उजाले में भी धड़ल्ले से ट्रैक्टर और हाईवा से रेत भरकर बाहर भेज रहे हैं।
एनजीटी के आदेशों की धज्जियां, भारी मशीनों का धड़ल्ले से इस्तेमाल
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के सख्त आदेशों के बावजूद कोरबा जिले में पोकलैंड मशीनों, हाइड्रा और लिफ्टरों का खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। ये मशीनें नदियों के प्राकृतिक बहाव को प्रभावित करती हैं, भूजल स्तर को घटाती हैं और नदी तटों पर कटाव का खतरा बढ़ाती हैं। इन प्रतिबंधित मशीनों का उपयोग केवल इस बात का संकेत है कि प्रशासनिक संरक्षण के बिना यह सब संभव नहीं है।
खनिज विभाग और प्रशासन पर उठे सवाल
जिले में जिस पैमाने पर यह अवैध खनन हो रहा है, उसने खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन घाटों की मियाद समाप्त हो चुकी है, वहां अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या विभाग को इस गतिविधि की खबर नहीं, या फिर जानबूझकर नज़रें फेर ली गईं? स्थानीय लोगों का आरोप है कि अवैध खनन में कुछ प्रभावशाली नेता, ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत है।
पर्यावरणीय खतरे को लेकर चिंताएं गहराईं
इस अवैध खनन से हसदेव, अहिरन, लीलागर जैसी नदियों की पारिस्थितिकी खतरे में है। जलस्तर गिर रहा है, जलीय जीवन प्रभावित हो रहा है और कई इलाकों में पीने के पानी की समस्या गहराने लगी है। गांवों के पास नदी किनारों पर गहरे गड्ढे हो चुके हैं, जिससे पशु-पक्षी और ग्रामीणों की जान को भी खतरा है।
जनता का आक्रोश, कार्रवाई की मांग तेज
जिलेभर के ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार विरोध की आवाजें उठ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक चुप्पी ने रेत माफियाओं के हौसले बुलंद कर दिए हैं। अब जनता कार्रवाई चाहती है, सिर्फ आश्वासन नहीं। ग्रामीण संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही अवैध खनन पर रोक नहीं लगी, तो जिलेभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
प्रशासन और खनिज विभाग को इस मामले में तत्काल संज्ञान लेकर, घाटों की वैधता की जांच कर, अवैध खनन पर रोक लगानी चाहिए। दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई ही अवैध रेत माफिया पर नकेल कस सकती है। साथ ही, एक पारदर्शी और तकनीकी निगरानी प्रणाली लागू कर भविष्य में इस तरह के दोहन को रोका जा सकता है।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT