खबर: गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। जिले में अवैध रेत खनन की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। रेत माफिया न सिर्फ नदियों का सीना चीर रहे हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी गहरे संकट में डाल दिया है। पथर्रा गांव में हो रहे लगातार खनन से नदी का तीव्र क्षरण हो रहा है, जिससे जलस्तर गिरने लगा है और पानी दूषित हो चुका है। इसका सीधा असर जंगलों में रहने वाले जानवरों और जीव-जंतुओं पर पड़ रहा है, जिन्हें इस भीषण गर्मी में पीने के लिए साफ पानी तक मयस्सर नहीं हो रहा।
सूत्रों के अनुसार, कई क्षेत्रों में जानवरों की प्यास से मौत तक की घटनाएं सामने आई हैं। नदी से जुड़ी पारिस्थितिकी पूरी तरह प्रभावित हो चुकी है। स्थानीय ग्रामीण और पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं कि यदि समय रहते अवैध खनन पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो इसका दुष्परिणाम स्थायी पर्यावरणीय आपदा के रूप में सामने आ सकता है।
पथर्रा पंचायत की सरपंच ने इस गंभीर मामले में मुखर होते हुए जिला प्रशासन से तुरंत सख्त कार्रवाई की मांग की है। सरपंच का कहना है कि प्रशासनिक उदासीनता के चलते माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और ग्रामीणों की आवाज अनसुनी की जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि अवैध खनन पर जल्द रोक नहीं लगी, तो वे जनआंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे।
सरपंच ने कहा, “यह केवल रेत की लूट नहीं, बल्कि जीवन के अधिकार की हत्या है — चाहे वो ग्रामीण हों या जंगल के मासूम जीव-जंतु। प्रशासन अब भी नहीं जागा तो ये विनाश थमने वाला नहीं।” अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस स्पष्ट और मजबूत चेतावनी के बाद कोई ठोस कदम उठाता है या नहीं।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT