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पतगंवा में मंदिर मार्ग पर अवैध कब्जा: श्रावण मास में नहीं हो पा रही भोलेनाथ की पूजा-अर्चना? भूपेंद्र कश्यप और रामवतार यादव ने दोनों ओर से रास्ता किया बंद, ग्रामीणों में आक्रोश,

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पेंड्रा (गौरेला-पेंड्रा-मरवाही)। तहसील पेंड्रा अंतर्गत ग्राम पंचायत पतगंवा में वर्षों पुराने पूरनिहा तालाब और मंदिर तक जाने वाले सार्वजनिक मार्ग पर अवैध कब्जा कर ग्रामीणों की धार्मिक आस्था और परंपराओं पर सीधा हमला किया गया है। श्रावण मास के इस पवित्र महीने में भोलेनाथ के अभिषेक और पूजा-पाठ की परंपरा इस बार टूट गई है, क्योंकि मंदिर तक पहुंचने वाला मुख्य रास्ता जेसीबी से खोदकर और लोहे की जाली लगाकर बंद कर दिया गया है।
 कब्जाधारियों ने दोनों ओर से बंद किया रास्ता
जानकारी के अनुसार, यह अतिक्रमण भूपेंद्र कश्यप (जाति कुर्मी, निवासी पतगंवा) द्वारा किया गया है, जिसने जेसीबी चलवाकर गड्ढा खुदवाया और फिर जाली लगाकर मार्ग बंद कर दिया। वहीं दूसरी दिशा से रामवतार यादव ने भी अवैध कब्जा कर मार्ग पूरी तरह बाधित कर दिया है। इससे अब न केवल शिव मंदिर और हनुमान मंदिर तक पहुंचना असंभव हो गया है, बल्कि गांव के सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों पर भी संकट खड़ा हो गया है।
 पुराना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गांव का यह मार्ग सीधे बड़े और छोटे पूरनिहा तालाब की ओर जाता है, जिनकी मेड़ पर शिव मंदिर और हनुमान मंदिर स्थित हैं। इन तालाबों में भोजली और जवारा विसर्जन, मरनी-हरनी पर दशगात्र संस्कार, दशहरा पर रावण दहन, और ग्राम मेला जैसे पारंपरिक आयोजन होते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि गौठान के रूप में चिन्हित है और वर्षों से सार्वजनिक उपयोग में रही है।
सरपंच की शिकायत के बाद भी प्रशासन चुप
इस अवैध कब्जे को लेकर ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा तहसीलदार पेंड्रा को लिखित शिकायत भी दी गई है। शिकायत में स्पष्ट रूप से दोनों व्यक्तियों के नाम, अतिक्रमण की प्रकृति और धार्मिक आयोजन प्रभावित होने की बात कही गई है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक न कोई जांच हुई है, न कोई कार्यवाही। प्रशासन की यह चुप्पी ग्रामीणों में भारी नाराजगी और असंतोष का कारण बन रही है।

तनाव की स्थिति, कभी भी हो सकता है बड़ा टकराव
अवैध कब्जा हटाने की मांग को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। श्रावण मास में पूजा बाधित होने से धार्मिक भावना गहरी आहत हुई है और गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही मार्ग बहाल नहीं किया गया, तो वे प्रशासनिक उदासीनता के विरोध में आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
 प्रश्न खड़े करता है प्रशासन की चुप्पी:
क्या तहसीलदार पेंड्रा भू-माफियाओं के दबाव में हैं?
क्या सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर मंदिर तक पहुंच रोकना अपराध नहीं? धार्मिक स्थलों पर कब्जा कर गांव की शांति भंग करने वालों पर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई? कब, कैसे और किसके संरक्षण में हुआ कब्जा? कौन हैं असली सरगना? और क्यों खामोश है शासन-प्रशासन?
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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