Search
Close this search box.

मरवाही वनमंडल में मुनारा घोटाला ठेकेदार बना विभाग का मुखिया! रॉयल्टी से लेकर सीमेंट तक में हुआ करोड़ों का खेल__

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

मरवाही वनमंडल में मुनारा घोटाला ठेकेदार बना विभाग का मुखिया! रॉयल्टी से लेकर सीमेंट तक में हुआ करोड़ों का खेल
मरवाही/विशेष रिपोर्ट : -वन विभाग की वो हरी दीवार अब भ्रष्टाचार की दीवार बन चुकी है। कैम्पा योजना 2024-25 के अंतर्गत मरवाही वनमंडल में जंगलों की सुरक्षा के नाम पर बनाए जा रहे लगभग 1700 मुनारों ने पूरे विभाग की नींव हिला दी है। आधिकारिक कागज़ों में मुनारे सीमेंट, रेत और छड़ से बने हैं मगर ज़मीन पर खड़े हैं सिर्फ धोखे, धूल और मिलीभगत के खंभे। सूत्र बताते हैं कि मरवाही वनमंडल को कैम्पा मद से कई करोड़ रुपये का बजट मुनारा निर्माण हेतु स्वीकृत हुआ था। लक्ष्य था जंगल की सीमाओं को मजबूत करना, मगर परिणाम हुआ उल्टा जहाँ सीमेंट की परतें हैं, वहाँ छड़ का नाम तक नहीं। स्थानीय स्तर पर किए गए निरीक्षण में पाया गया कि अधिकांश मुनारों में लोहे की छड़ का उपयोग नहीं हुआ, पर विभाग ने छड़ सहित भुगतान कर दिया।
एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मुनारे ऐसे बन रहे हैं कि बारिश से पहले ही गिर जाएँगे। लेकिन बिल पूरा, साइन पूरे, और ठेकेदार का भुगतान समय पर।
विभाग का ठेकेदार से प्यार सवालों पर रटा जवाब –
जब पत्रकारों ने इस पर वन विभाग से सवाल किया, तो जवाब आया बॉबी शर्मा केवल सप्लायर है, निर्माण कार्य विभाग कर रहा है। पर यह जवाब इतना खोखला है जितने खुद मुनारे। क्योंकि जमीन पर न विभाग दिखा, न कर्मचारी हर जगह उसी बॉबी शर्मा की फर्म, उसी के मजदूर, उसी के ट्रक, और उसी के आदेश चल रहे थे। अंदरखाने की भाषा में कहा जाए तो मरवाही वनमंडल अब बॉबी शर्मा एंड कंपनी का ठेका क्षेत्र बन चुका है।
रॉयल्टी में खेल बिना NOC, पूरा भुगतान –
घोटाले का एक और सिरा है रेत सप्लाई की रॉयल्टी। मुनारों के लिए सैकड़ों ट्रिप रेत आई, मगर माइनिंग विभाग का चुकता प्रमाणपत्र (NOC) लिए बिना ही भुगतान कर दिया गया। यानी सरकारी धन सीधे बिना टैक्स, बिना ट्रेस के बहा दिया गया। यही नहीं ठेकेदार बॉबी शर्मा की फर्म आराध्या बिल्डिंग मटेरियल पर पहले से ही रॉयल्टी चोरी का मामला लोकपाल में दर्ज है। फिर भी वही फर्म आज भी विभाग की प्रिय बनी हुई है। प्रश्न यह है कि क्या वनमंडल को अब जांच एजेंसी नहीं, ठेकेदार चलाता है?
गौरेला रेंजर पर सवाल ठेकेदार की ढाल बने अफसर –
इस पूरे खेल में गौरेला रेंज के रेंजर प्रबल दुबे का नाम भी तेजी से उछल रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, रेंजर और ठेकेदार के बीच लेन-देन और लाभांश की सांठगांठ लंबे समय से चल रही है। खबरें प्रकाशित होते ही रेंजर द्वारा ठेकेदार के बचाव में पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों को प्रभावित करने की कोशिशें की गईं। सूत्र बताते हैं कि जो भी ठेकेदार के खिलाफ बोलता है, उसे रेंजर की फाइलों में फंसा दिया जाता है। यह अपने आप में एक संकेत है कि मरवाही वनमंडल की फाइलों से ज्यादा महंगी अब ठेकेदार की दोस्ती हो चुकी है।
DFO के चैंबर तक पहुँच ठेकेदार की, फाइलें भी अनुमति रहित
विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि यह ठेकेदार DFO के चैंबर में बिना अनुमति प्रवेश करता है, और कई बार अधिकारी अनुपस्थित होने पर भी फाइलों में नोटिंग तक करवा देता है। एक वरिष्ठ कर्मचारी ने कटाक्ष में कहा यहाँ DFO बाद में बोलता है, बॉबी शर्मा पहले।
मरवाही वनमंडल कार्यालय में बन रहे कर्मचारी आवास से लेकर गौरेला रेंज ऑफिस तक के सभी कार्य, उसी ठेकेदार की फर्म द्वारा किए जा रहे हैं। यानी विभाग अब एकल व्यक्ति शासन के रूप में चल रहा है, जहाँ ठेकेदार आदेश देता है, अफसर पालन करते हैं।
मुनारे ही नहीं, विभाग की नींव भी हिली –
यह केवल निर्माण का मामला नहीं है, यह प्रणालीगत सड़ांध का प्रतीक है। जहाँ फील्ड निरीक्षण कागज़ पर होता है, गुणवत्ता सर्टिफिकेट व्हाट्सएप पर, और भुगतान ऑफिस में बिना दस्तावेज़ों के। अब सवाल है क्या इस मुनारा घोटाले की जाँच PCCF स्तर पर होगी, या फिर जैसा चलता है, वैसा चलता रहेगा?
PCCF से लेकर Vigilance तक जांच आवश्यक –
इस पूरे प्रकरण में स्पष्ट रूप से कैम्पा फंड का दुरुपयोग, गुणवत्ता में गंभीर अनियमितता, रॉयल्टी और माइनिंग में गड़बड़ी, और अफसर-ठेकेदार गठजोड़ की बू आ रही है। इसलिए आवश्यक है कि PCCF (Principal Chief Conservator of Forests) इस प्रकरण में स्वत: संज्ञान लेकर जांच समिति गठित करें। सभी 1700 मुनारों की तकनीकी जांच राज्य स्तरीय दल से कराई जाए। ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों के मोबाइल लोकेशन, भुगतान रजिस्टर और सप्लाई रसीदों की फॉरेंसिक जांच हो। यदि आरोप सत्य पाए जाएँ, तो रेंजर से लेकर DFO तक को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए।
मरवाही के जंगलों में अब सिर्फ पेड़ों की कटाई नहीं, ईमान की जड़ें भी काटी जा रही हैं। मुनारे वहाँ नहीं खड़े वहाँ खड़ी हैं भ्रष्टाचार,मिलीभगत और मौन की दीवारें!
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

और पढ़ें