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राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में बड़ा घोटाला: 1 लाख घन मीटर गिट्टी का अवैध भंडारण, शासन को 8 करोड़ की संभावित राजस्व क्षति, खनिज विभाग की चुप्पी पर सवाल, ठेकेदार को संरक्षण देने के आरोप

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📍 पेंड्रा, जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM)
🗓️ रिपोर्ट –  विशेष संवाददाता
राष्ट्रीय राजमार्ग केवची से डूंगरा तक 35 किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। लगभग ₹140 करोड़ की इस परियोजना में कार्यरत श्याम इंफ्रास्ट्रक्चर कोलकाता द्वारा एक लाख घन मीटर से अधिक गिट्टी, मुरूम एवं रेत का अवैध भंडारण किए जाने की पुष्टि हुई है, जिससे शासन को लगभग 8 करोड़ रुपये की रॉयल्टी व बाजार मूल्य के राजस्व का नुकसान होने की आशंका है।
निर्माण स्थल बना अवैध भंडारण केंद्र
प्राप्त जानकारी के अनुसार ठेकेदार द्वारा खोड़री क्षेत्र में सड़क के दोनों ओर गिट्टी, मुरूम और रेत का विशाल भंडारण किया गया है। हैरानी की बात यह है कि इस निर्माण सामग्री के लिए न तो रॉयल्टी पर्ची मौजूद है और न ही खनिज विभाग से वैध परिवहन पास। प्रतिदिन लगभग 1,000 घन मीटर गिट्टी सड़क निर्माण में डाली जा रही है, जिसकी अभिवहन दस्तावेज मौके पर नहीं पाए गए।
दस्तावेजी गड़बड़ियों की पुष्टि
खनिज विभाग की फाइलों में अभी तक केवल 20,000 घन मीटर गिट्टी का ही रॉयल्टी भुगतान दर्ज है। जबकि निर्माण स्थल पर एक लाख घन मीटर से अधिक सामग्री का उपयोग और भंडारण होना सामने आया है। बचे हुए लगभग 80,000 घन मीटर गिट्टी पूरी तरह अवैध श्रेणी में आती है, जिसकी रॉयल्टी व बाजार मूल्य मिलाकर शासन को करीब 8 करोड़ रुपये की हानि हो रही है।
विभागीय चुप्पी और ठेकेदार को संरक्षण?
गंभीर आरोप यह भी हैं कि जिला खनिज विभाग, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही द्वारा अब तक कोई विधिसम्मत कार्यवाही नहीं की गई है। न तो भंडारण स्थल पर छापामार कार्रवाई हुई है, न ही सामग्री जप्त की गई है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि विभागीय अफसर ठेकेदार को संरक्षण दे रहे हैं।
प्रशासनिक जवाबदेही तय होनी चाहिए
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस अवैध भंडारण की जांच की जाए और रॉयल्टी वसूली की प्रक्रिया अपनाई जाए, तो शासन को करोड़ों रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है। वहीं खनिज विभाग की निष्क्रियता पर जिला कलेक्टर की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
🔍 अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन व खनिज विभाग इस गंभीर मामले पर कब तक मौन रहते हैं, या जिम्मेदारों पर ठोस कार्रवाई करते हैं।
📝 यह मामला न केवल राजस्व हानि का है, बल्कि यह प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली और ठेकेदारों की मिलीभगत पर भी गहरे सवाल खड़े करता है।
Saket Verma
Author: Saket Verma

A professional journalist

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