जनपद पंचायत कोटा, जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
रिपोर्ट: 14 जून 2025 | विशेष संवाददाता: पंचायतों में अवैध उत्खनन का आरोप,
बिलासपुर जिले की जनपद पंचायत कोटा के अंतर्गत आने वाले ग्राम आमागोहन, मोहली, खोंगसरा, टांटीधार और टुप्फा में बीते कुछ महीनों से बिना किसी वैध अनुमति के रेत और मुरुम खनन धड़ल्ले से जारी है। इस गंभीर मामले पर जनपद सदस्य श्रीमती कांति बलराम मरावी ने आवाज बुलंद की है और 26 मई 2025 को जिला कलेक्टर को लिखित शिकायत सौंपते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।ज्ञापन में कहा गया है कि ये गतिविधियां न केवल शासन के राजस्व को नुकसान पहुँचा रही हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी सीधी चुनौती बन चुकी हैं। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की आपत्तियों के बावजूद अवैध उत्खनन पर अंकुश नहीं लगाया गया है।
📌 ग्राउंड रिपोर्ट: क्या हैं प्रमुख आरोप?
1. बिना अनुमति का उत्खनन: ग्राम पंचायत आमागोहन, मोहली, खोंगसरा, टांटीधार और टुप्फा क्षेत्रों में बिना किसी खनिज स्वीकृति या पर्यावरणीय क्लीयरेंस के ट्रैक्टर, हाईवा और जेसीबी से रेत एवं मुरुम की खुदाई की जा रही है।
2. शासकीय भूमि का दोहन: शासन की भूमि से निर्माण कार्यों के नाम पर बड़ी मात्रा में मुरुम और मिट्टी निकाली जा रही है, जिससे स्थानीय पर्यावरण और भू-आकृति को स्थायी क्षति हो रही है।
3. पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों की अनदेखी: सुप्रीम कोर्ट एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा समय-समय पर दिए गए स्पष्ट निर्देशों का सरेआम उल्लंघन हो रहा है।
4. राजस्व को नुकसान: शासन को हजारों-लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है। माफिया बिना रॉयल्टी भुगतान के सामग्री निकालकर खुलेआम बेच रहे हैं।
5. ग्राम विकास कार्य प्रभावित: निर्माण सामग्रियों की यह अवैध निकासी ग्रामीण सड़कों, पुल-पुलियों, जल स्रोतों और खेतों को भी नुकसान पहुँचा रही है।
📣 जनपद सदस्य ने क्या कहा?
जनपद सदस्य श्रीमती कांति मरावी ने अपने ज्ञापन में प्रशासन से मांग की है कि:
उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जाए।
अवैध उत्खनन स्थलों का भौगोलिक निरीक्षण और मापन कराया जाए।
दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, खनिज विभाग और NGT को तत्काल सूचित कर अस्थायी प्रतिबंध लगाया जाए।
🧾 किन-किन अधिकारियों को भेजा गया ज्ञापन?
कलेक्टर, जिला बिलासपुर
तहसीलदार, बेलगहना
खनिज अधिकारी, बिलासपुर
पर्यावरण संरक्षण मंडल, व्यापार विहार
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT),
ज्ञापन के साथ क्षेत्रीय सरपंचों, सचिवों एवं ग्रामीण प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर युक्त समर्थन पत्र और उत्खनन स्थलों की तस्वीरें भी संलग्न की गई हैं।
📷 उत्खनन स्थलों की स्थिति भयावह
ज्ञापन में दर्शाए गए चित्रों और फील्ड रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि कई स्थानों पर 10 से 15 फीट तक खुदाई की जा चुकी है। इस कारण पेड़ों की जड़ें उखड़ गई हैं, प्राकृतिक जल बहाव अवरुद्ध हो गया है और खेतों की मिट्टी बहकर निकल चुकी है।
🛑 क्या है कानूनी स्थिति?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और खनिज विभाग की गाइडलाइन के अनुसार:
किसी भी सार्वजनिक भूमि या नदी-नाले से रेत व मुरुम का उत्खनन बिना अनुमति गैरकानूनी है।
पर्यावरणीय मंजूरी के बिना खुदाई दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार मिनरल रूल्स 2016 के तहत राज्य सरकार की अनुमति अनिवार्य है।
इस प्रकार के अवैध खनन के मामले छत्तीसगढ़ के कई जिलों में देखे जा रहे हैं, परंतु प्रशासनिक निष्क्रियता के चलते यह माफियाओं के लिए मुनाफे का धंधा बन चुका है। आम जनता, जनप्रतिनिधि और पर्यावरण के प्रति जवाबदेह अधिकारियों की ज़िम्मेदारी बनती है कि इस पर तत्काल और कठोर कार्यवाही हो।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT