पोड़ी उपरोड़ा: पोड़ी उपरोड़ा का एकीकृत महिला बाल विकास विभाग एक बार फिर से आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है।यहां आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती को लेकर जमकर भर्राशाही होने की बात सामने आ रही है।परियोजना अधिकारी समेत सुपरवाइजरों की भूमिका संदेहास्पद बताई जा रही है,जिन्होंने सरकारी नियम कायदों को पैरों तले रौंद कर अपने चहेते आवेदनकर्ताओ की नियुक्ति कर सहायिका भर्ती की इतिश्री कर ली है।हालांकि आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती पूर्ण जरूर हो चुकी है, लेकिन षड्यंत्र रूपी हुई भर्ती को लेकर कहि ना कहीं आज भी पात्र आवेदनकर्ता शांत नही है, वे इस भर्ती को लेकर जांच की मांग कर रहे हैं।अगर सहायिका भर्ती की निष्पक्ष जांच होती है बड़ा खुलासा हो सकता है।
गौरतलब है एकीकृत महिला बाल विकास विभाग पोड़ी उपरोड़ा द्वारा आंगनबाड़ी में रिक्त सहायिका पद हेतु भर्ती निकाली गई थी, जहां विभाग के नियम अनुरूप ईक्षुक आवेदनकर्ताओ ने फार्म के साथ अपने आवश्यक दस्तावेज जमा किये थे। उक्त भर्ती मेरिट लिस्ट के अनुसार होनी थी तथा अन्य दस्तावेजो के आधार पर आवेदनकर्ताओं को अंक प्राप्त होने थे।जहां आवेदनकर्ताओं ने सभी दस्तावेज जमा किये थे।लेकिन इस भर्ती में एक खेला ऐसा रहा जहां गरीबी रेखा के अंतर्गत आवेदनकर्ताओं को अंक मिलना था।जिसमे आवेदनकर्ताओं को जानकारी दी गई थी कि वर्ष 2002 के गरीबी रेखा का प्रमाण देना होगा, जब आवेदनकर्ताओ ने 2002 का गरीबी रेखा दस्तावेज जमा किया तो बाद में उन्हें 2011 का गरीबी रेखा दस्तावेज जमा करने की बात कही गई।जबकि भर्ती को लेकर जो गाइडलाइंस थी उसमें कहि भी इस बात का जिक्र नही है कि गरीबी रेखा का प्रमाण 2002 या 2011 का होगा।
बस फिर क्या था मानो परियोजना अधिकारी के दोनों हाथों में लड्डू आ गए,ये इस अवसर को खोना नही चाहती थी,और आवेदनकर्ताओं को गरीबी रेखा के अंक में गुमराह करने का खेल शुरू हो गया।वही इनके द्वारा चहेते आवेदनकर्ताओ को अंक देकर उन्हें नियुक्ति प्रदान कर दी गई ।सूत्र बताते हैं कि इस खेल में जमकर उगाही हुई है जिन आवेदनकर्ताओं ने अधिकारी की झोली गरम की उन्हें गरीबी रेखा 2002 व 2011 मे अंक प्रदान कर दिया गया है औऱ जो इनके मुताबिक ख्वाहिश पूरी नही कर पाया उन्हें गरीबी रेखा में उलझा कर साइड कर दिया गया।ये हम नही कह रहे ये आवेदनकर्ता चीख चीख कर कह रहे हैं लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नही है। अपात्र किये गए आवेदनकर्ताओं ने दावा आपत्ति भी की,लेकिन दावा आवेदनकर्ताओ के लिए महज एक मजाक बन कर रह गया,न तो दावा के बारे में आवेदनकर्ताओं को कोई जानकारी दी गई और न ही विभाग ने कोई जानकारी चस्पा की।अब आप भी समझ सकते हैं महिला बाल विकास विभाग किस हद तक नियम कायदों को सूली पर टांग कर आवेदनकर्ताओं को गुमराह कर सहायिका भर्ती किया है।
इसमे कोई दो रॉय नही है कि जिन नियमो के तहत आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती हुई है उन्हें सरकारी नोरशाहो ने जमकर ठेंगा दिखाया है।अगर इस भर्ती की निष्पक्ष जांच हुई तो कई अहम खुलासे हो सकते हैं जो विभाग के नोकरशाहो कि पोल खोल सकते हैं और पात्र आवेदनकर्ताओं को अवसर मिल सकता है।हालांकि पात्र होते हुए भी अपात्र किये गए आवेदनकर्ता इस मामले को लेकर शांत नही हुए हैं वे इस मामले को लेकर कोर्ट की शरण ले सकते हैं।

Author: रितेश गुप्ता
Professional journalist