हटाए गए बीईओ आरएन चंद्रा अब भी नियम विरुद्ध बीईओ के पद पर काबिज, नियम-कानून की उड़ा रहे धज्जियाँ!
मामले की अब केंद्रीय मंत्री से शिकायत,,,
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। विकासखंड पेंड्रा में शिक्षा विभाग की साख को खुलेआम चैलेंज किया जा रहा है। राज्य शासन द्वारा पद से हटाए गए प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी आरएन चंद्रा मूल पद व्याख्याता जोकि प्रशिक्षित भी नहीं हैं अब भी जबरदस्ती पद पर जमे हुए हैं एवं शासन का आदेश, हाई कोर्ट की टिप्पणी, और डीईओ के कार्यमुक्ति आदेश, सबको दरकिनार कर चंद्रा न सिर्फ पद छोड़ रहे बल्कि पूरे सिस्टम की आंखों में धूल झोंककर उसे ठेंगा दिखा रहे हैं।
इतना सब होने के बाद अब यह मामला स्थानीय स्तर से निकलकर केंद्र के मंत्री तक पहुँच चुका है। शिक्षा व्यवस्था को पंगु बनाने वाली इस मनमानी के खिलाफ केंद्रीय मंत्री को भी ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें शासन के आदेश की अवहेलना करने वाले इस उधार के अधिकारी के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने की माँग की गई है।
गौरतलब हो कि दिसंबर 2024 में राज्य शासन ने आरएन चंद्रा को प्रभारी बीईओ के पद से हटाकर उनके मूल पद व्याख्याता के रूप में गुरुकुल विद्यालय गौरेला भेजा था। परंतु आदेश जारी होने के 14 दिनों बाद भी जब वे स्थानांतरित संस्था में जॉइन नहीं किए तब डीईओ ने उन्हें जनवरी को एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया था फिर भी चंद्रा कार्यालय में बने रहे और इस तरह इन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश की भी धज्जियाँ उड़ाई।बड़ा सवाल – क्या वे खुद को शासन और प्रशासन से ऊपर मानते हैं?
उन्होंने हाई कोर्ट में भी झूठे तथ्य पेश कर स्टे लेने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने साफ तौर पर उसी पद पर बने रहने के लिए स्टे देने से मना कर दिया। इसके बावजूद चंद्रा आज तक पद से नहीं हटे। अब सवाल यह उठता है कि- क्या शिक्षा विभाग जानबूझकर इस अराजकता को नजरअंदाज कर रहा है या इस मामले की जानकारी उच्च कार्यालय को नहीं दी गई है।
अब जब मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है और केंद्रीय मंत्री तक शिकायत पहुँच चुकी है, तब देखना होगा क्या शासन और प्रशासन नींद से जागेगा ? या फिर एक उधार के हटाए गए अफसर के दंभ के आगे पूरा सिस्टम घुटने टेकेगा। अब जब जिले में नए जिला शिक्षा अधिकारी ने कार्यभार सँभाल लिया है तो देखने वाली बात होगी कि- नए जिला शिक्षा अधिकारी इस खुली अवहेलना पर क्या कठोर कार्रवाई करते हैं या फिर भर्राशाही यूँ ही चलता रहेगा।

Author: Saket Verma
A professional journalist