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RTI की स्क्रिप्ट बताते हैं कटघोरा के वन अधिकारी, आवेदन लगाता उनका बिलासपुर एक्टिविस्ट मित्र पांडे, का 50-50 का बंटवारा…

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रायपुर। शासकीय कार्यों और शासकीय धन के उपयोग के मामले में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लागू किया गया सूचना का अधिकार कानून एक ओर जहां भ्रष्ट आचरण और भ्रष्टाचार की पोल खोलने में मददगार साबित हो रहा है और भ्रष्टाचार करने वाले सलाखों के पीछे तक जा रहे हैं।उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो रही है तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इसे रुपए कमाने का जरिया बनाए बैठे हैं।
 सूत्रों की मानें तो कोरबा जिले में वन विभाग के एक अधिकारी जो कटघोरा वन मंडल से वास्ता रखते हैं, वह अपने पड़ोसी जिले के आरटीआई एक्टिविस्ट मित्र के साथ विभागीय सारी जानकारियां साझा करते हैं।विभाग की पोल पट्टी इन्हें अच्छे से पता होती है और इस कारण यह अपने एक्टिविस्ट मित्र के माध्यम से प्रदेश भर में वन विभाग के खिलाफ आरटीआई लगवाया करते हैं। आरटीआई के खेल में पोल पट्टी की जानकारी यह वन अधिकारी प्रदान करता है और उनका मित्र आईटीआई लगाता है। फिर इसके एवज में जो भी समझौता राशि हासिल होती है उसका 50-50 बांट लिया जाता है। इसकी चर्चा कोरबा से लेकर पड़ोसी जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश के उन पीड़ितों में भी है जो इनके चंगुल में फंस चुके हैं। वन विभाग के इस अधिकारी के काफी किस्से भी चर्चित रहे हैं। मरवाही वन मंडल में भी पदस्थ रहे काफी सुर्खियों में रहने वाला यह अधिकारी अब तक विभागीय जांच और कानून के शिकंजे से बचता आया है लेकिन कहावत है न कि- बकरे की अम्मा आखिर कब तक खैर मनाएगी, एक न एक दिन तो ये कानून के लपेटे में आएंगे ही।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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