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कोरबा जिले के कटघोरा वनमंडल के पसान वन परिक्षेत्र में अवैध केबल बिछाव का सनसनीखेज खुलासा – डिप्टी रेंजर बने दलाल, पत्रकारों को धमकाकर करवा रहे सेटिंग

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कोरबा (कटघोरा) –कोरबा जिले के कटघोरा वनमंडल के पसान वन परिक्षेत्र में अवैध केबल बिछाव का एक शर्मनाक खेल सामने आया है, जो प्रशासनिक तंत्र की व्यापक मिलीभगत का प्रतीक बन चुका है। एयरटेल कंपनी द्वारा बैरा, लैंगा, तनेरा, जलके, रानीअटारी व विजयवेस्ट क्षेत्रों में बिना वैध अनापत्ति प्रमाण पत्र तथा बिना विभागीय अनुमति के जेसीबी मशीन से नाजुक जंगल की मिट्टी में अवैध रूप से केबल बिछाई जा रही है। इस पूरे अवैध खेल का केन्द्र बन चुका है डिप्टी रेंजर, जो खुद दलाली की भूमिका में सामने आ रहा है।
कंपनी के सुपरवाइजर चंचल राठौर ने खुलेआम स्वीकार किया कि उन्होंने डिप्टी रेंजर, वन रक्षक से लेकर DFO व CCF तक को मोटी रकम में खरीद लिया है। उनका आश्चर्यजनक खुलासा –

“मेरे द्वारा सभी संबंधित अधिकारी खरीद लिए गए हैं और मैं पूरी रात बिना रुके अवैध कार्य करता रहूँगा।”सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि डिप्टी रेंजर सीधे तौर पर मीडिया को धमकाकर इस काले खेल की सच्चाई उजागर करने से रोकने की साजिश में जुटे हैं। उन्होंने कथित तौर पर पत्रकारों से सेटिंग कर इस भ्रष्टाचार को दबाने का प्रयास तेज कर रखा है।
पूर्व परिक्षेत्र अधिकारी रामनिवास दहायत ने इस घिनौने काम को रोकने के लिए पीओआर काटकर खुदाई रोकने का साहसिक कदम उठाया था। लेकिन वर्तमान परिक्षेत्र अधिकारी मनीष सिंह अपने परिक्षेत्र में हो रहे अवैध कार्य की जानकारी नहीं होने का नाटक कर मामले को दबाने में जुटे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, पर्यावरण कार्यकर्ता और आम जनता इस पूरे घोटाले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की सख्त मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि राज्य सरकार व उच्च न्यायालय समय रहते प्रभावी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो यह अवैध गतिविधि पसान वन परिक्षेत्र व कोरबा जिले की वन संपदा को नष्ट करने वाली साबित होगी।
पर्यावरणविद् और जनप्रतिनिधियों का जोरदार कहना है –
“वन संपदा की रक्षा करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई नहीं होने पर यह प्रकरण पर्यावरणीय अपराधों के लिए बेमिसाल उदाहरण बन जाएगा।” अब राज्य शासन की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या वह भ्रष्ट डिप्टी रेंजर, वन रक्षक, परिक्षेत्र अधिकारी व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगा या नहीं। यदि समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला कोरबा जिले की वन संपदा के विनाश का कालखंड बन जाएगा।
आगे की कार्रवाई की मांग:
जनप्रतिनिधि व पर्यावरण कार्यकर्ता राज्य सरकार व उच्च न्यायालय से स्पष्ट रूप से मांग कर रहे हैं कि संलिप्त अधिकारियों को बेनकाब कर कठोरतम कार्यवाही की जाए। ताकि भविष्य में इस प्रकार की अवैध गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके और कोरबा जिले की वन संपदा सुरक्षित रह सके। वर्तमान में डिप्टी रेंजर सेटिंग की बात कर पत्रकारों को धमकाने में लगे हैं, जबकि परिक्षेत्र अधिकारी मनीष सिंह यह दावा कर रहे हैं कि उन्हें अवैध कार्य की जानकारी नहीं है।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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