कटघोरा | केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना के तहत आम जनता को मुफ्त इलाज की सुविधा देने का दावा जरूर किया जाता है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। कटघोरा के गोपाल हॉस्पिटल में ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां न केवल आयुष्मान कार्ड से भुगतान लिया गया, बल्कि मरीज से अलग से 60,000 रुपये की वसूली भी कर ली गई।
मरीज के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने शुरुआत में आयुष्मान कार्ड पर मुफ्त इलाज का भरोसा दिलाया, लेकिन भर्ती के कुछ समय बाद 60,000 रुपये की मांग की गई। मजबूरी में परिजनों ने 20,000 रुपये नकद जमा कर दिए, लेकिन इसके बाद भी उन्हें लगातार शेष राशि के लिए परेशान किया गया। हैरानी की बात ये रही कि पूरे 60,000 रुपये देने के बाद भी मरीज का समुचित इलाज नहीं किया गया और उसे बीच में ही डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज की स्थिति जस की तस बनी रही।
इस पूरी घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। मरीज से न रसीद दी गई, न ही कोई पर्ची — केवल पैसा वसूला गया और जबरन छुट्टी दे दी गई। यह न सिर्फ आयुष्मान योजना का मजाक है, बल्कि गरीब और जरूरतमंदों के साथ सीधा छल है।
प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन
मामले को लेकर मरीज के परिजनों ने जिला प्रशासन को लिखित शिकायत देकर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन ऐसे मनमानी करने वाले निजी अस्पताल के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा।
प्रबंधन का बचाव में जवाब टालू
जब मीडिया टीम ने इस मामले पर गोपाल हॉस्पिटल के संचालक से बात करनी चाही, तो उन्होंने संक्षेप में कहा, “मैं पहले ही जिला प्रशासन को जवाब दे चुका हूं। आपको जो छापना है छाप दीजिए, मैं कुछ नहीं कह सकता।” उनका यह गैर-जिम्मेदाराना जवाब न सिर्फ संदेह को और गहरा करता है, बल्कि पूरे अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
क्या कहता है कानून?
सरकारी योजना में शामिल किसी भी अस्पताल द्वारा योजना के लाभार्थियों से अतिरिक्त राशि लेना न केवल नीति के खिलाफ है, बल्कि यह आपराधिक श्रेणी में आता है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन यदि अब भी चुप बैठता है, तो यह प्रशासनिक लापरवाही और मिलीभगत की आशंका को और बल देगा ।
जनता की मांग – करें कड़ी कार्रवाई
कटघोरा के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन निजी अस्पतालों की लूट पर लगाम लगाएगा या फिर गरीबों को लूटा जाना जारी रहेगा?

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT