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BJP: नियुक्तियों के जश्न में नाराजगी की परछाईं, ‘मिस्टर इंडिया’ से लेकर नाम के धोखे तक चर्चा में संगठन__नियुक्ति के धोखे में बंट गई बधाई

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BJP: नियुक्तियों के जश्न में नाराजगी की परछाईं, ‘मिस्टर इंडिया’ से लेकर नाम के धोखे तक चर्चा में संगठन
सूची जारी होते ही कहीं खुशियां, कहीं असंतोष — बधाइयों के साथ उठे सवाल
रायपुर/कोरबा। भारतीय जनता पार्टी में संगठनात्मक नियुक्तियों का दौर इन दिनों जोर-शोर से जारी है। पार्टी के मुख्य संगठन के साथ-साथ महिला मोर्चा, भारतीय जनता युवा मोर्चा, अनुसूचित जाति मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा और विभिन्न प्रकोष्ठों में प्रदेश पदाधिकारियों, संयोजकों और सह-संयोजकों की नियुक्तियां की गई हैं। नियुक्तियों की सूची सामने आते ही जहां कई स्थानों पर खुशी और उत्साह का माहौल देखने को मिला, वहीं कई कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी भी साफ झलकने लगी है।
जिन्हें पद मिला, वे स्वयं और उनके समर्थक जश्न में डूबे नजर आए, जबकि लंबे समय से उम्मीद लगाए बैठे कई सक्रिय कार्यकर्ता और नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। संगठन ने भले ही संतुलित और सभी वर्गों को साधने वाली सूची तैयार करने का दावा किया हो, लेकिन इसके बावजूद असंतोष की आवाजें भीतरखाने उठ रही हैं।
भीतरघात के आरोपियों को पद, वफादार कार्यकर्ता खफा
पार्टी के भीतर यह चर्चा भी तेज है कि कुछ ऐसे लोगों को भी संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जिन पर चुनाव के दौरान भीतरघात और खुलकर विरोध करने के आरोप रहे हैं। ऐसे में हार का सामना करने वाले प्रत्याशी और उनके समर्थक खासे नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि यह नाराजगी खुलकर सामने नहीं आ रही, लेकिन नाम उजागर किए बिना चर्चाओं के जरिए असंतोष जरूर झलक रहा है।
इसके उलट, कई ऐसे कार्यकर्ता जिन्होंने पार्टी को मजबूत करने और सत्ता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्हें न तो मंडल स्तर पर जगह मिली, न ही किसी आयोग या मौजूदा नियुक्तियों में शामिल किया गया। ऐसे में यह आरोप भी लग रहे हैं कि नियुक्तियां कुछ चुनिंदा चेहरों के इर्द-गिर्द ही सिमट कर रह गई हैं। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि भाजपा एक बड़ा परिवार है, जिसमें हल्की-फुल्की असहमति स्वाभाविक है और संगठन में कोई असंतुष्ट नहीं है।
‘मिस्टर इंडिया’ की एंट्री से सोशल मीडिया में चटखारे
नियुक्तियों के बीच एक मामला ऐसा भी सामने आया, जिसने पार्टी के भीतर ही चर्चा और मज़ाक का माहौल बना दिया। अनुसूचित जाति मोर्चा में सोशल मीडिया प्रभारी के रूप में “श्री मिस्टर इंडिया” नाम सूची में दर्ज होने से कार्यकर्ता हैरान रह गए।
सोशल मीडिया पर यह सवाल तैरता रहा कि आखिर यह ‘मिस्टर इंडिया’ कौन हैं? क्या वास्तव में किसी कार्यकर्ता का यही नाम है या फिर सूची तैयार करते समय किसी तरह की त्रुटि हो गई। इस नाम को लेकर पार्टी के भीतर चटखारे और चर्चाएं लगातार जारी हैं।
नरेंद्र देवांगन को बधाइयों की बाढ़, बाद में खुला नाम का राज
भाजपा की नियुक्तियों में एक और रोचक मामला बुनकर प्रकोष्ठ से सामने आया। प्रदेश सह-संयोजक के पद पर नरेंद्र देवांगन के नाम की घोषणा होते ही कोरबा में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। समर्थकों ने सोशल मीडिया पर बधाइयों की झड़ी लगा दी, मिठाइयां बांटी गईं और जगह-जगह बैनर व फ्लेक्स भी लग गए।
2 दिसंबर को सूची जारी होने के बाद कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसा नहीं बचा, जहां कोरबा के नरेंद्र देवांगन को बधाई न दी गई हो। हालांकि इसी बीच जिला संगठन के स्तर पर भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि आखिर नियुक्ति किस नरेंद्र देवांगन की हुई है।
बाद में स्थिति साफ हुई कि प्रदेश सह-संयोजक बनाए गए नरेंद्र देवांगन रायपुर निवासी हैं, जबकि कोरबा में बधाई पा रहे नरेंद्र देवांगन महज नाम की समानता का शिकार हो गए। स्थिति स्पष्ट होते ही कोरबा में बधाइयों का सिलसिला थम गया और लगाए गए बैनर-फ्लेक्स भी हटवा दिए गए। यह संभवतः पहला मौका रहा जब बिना पद मिले ही समान नाम के कारण मिठाइयां बंट गईं और जश्न मनाया गया।
नियुक्तियों के साथ सवाल भी
कुल मिलाकर भाजपा की संगठनात्मक नियुक्तियों ने जहां कई नए चेहरों को जिम्मेदारी देकर उत्साह बढ़ाया है, वहीं नामों की गड़बड़ी, चूक और चयन को लेकर उठ रहे सवालों ने पार्टी के भीतर असंतोष की चिंगारी भी जगा दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि संगठन इन चर्चाओं और नाराजगियों को किस तरह साधता है।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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