बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक बार फिर प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने डीआईजी प्रशासन पारुल माथुर और जांजगीर-चांपा के एसपी विजय कुमार पांडेय को अवमानना का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस पामगढ़ निवासी विक्की भारती की ओर से दायर अवमानना याचिका के बाद जारी किया गया। विक्की भारती ने पुलिस विभाग में कार्यरत अपने दिवंगत पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। हाईकोर्ट ने इस पर आदेश देते हुए 90 दिन के भीतर नियुक्ति देने को कहा था, लेकिन विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया।
विक्की भारती की ओर से अधिवक्ताओं अभिषेक पांडेय और प्रिया अग्रवाल ने कोर्ट में यह तथ्य रखा कि विभाग ने पहले उनके पिता की सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति को निरस्त कर दिया था, जिससे याचिकाकर्ता नियुक्ति के लिए पात्र हो गए थे। बावजूद इसके, उन्हें नौकरी नहीं दी गई। इससे आहत होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की अवमानना याचिका दायर की।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने यह भी बताया कि राज्य में लगातार वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोर्ट के आदेशों की अनदेखी हो रही है। जुलाई 2025 तक हाईकोर्ट में कुल 1,149 अवमानना याचिकाएं लंबित हैं, जिससे न्यायालय का कीमती समय बर्बाद हो रहा है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 12 के तहत दोषियों को सजा दी जाए, जिसमें छह माह का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।
हाईकोर्ट ने मामले को बेहद गंभीर मानते हुए दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी किया है और समयसीमा में जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। अब यह देखना अहम होगा कि पुलिस विभाग इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या याचिकाकर्ता को आखिरकार न्याय मिल पाता है।

Author: Ritesh Gupta
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