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सबसे बड़ा खेला ! गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में ‘बड़े झाड़ जंगल मद’ और शासकीय भूमि की हेराफेरी का खुला खेल! पटवारी से लेकर बड़े अफसर संदेह के घेरे में! – पुराने निलंबन के बावजूद जारी है गोरखधंधा

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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के राजस्व महकमे में इन दिनों सबसे बड़ा खेल शासकीय भूमि और बड़े झाड़ जंगल मद (BJJM) भूमि को लेकर चल रहा है। प्रशासनिक चुप्पी और पटवारी-नायब तहसीलदार से लेकर कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से हजारों वर्गफुट शासकीय ज़मीन पर या तो अवैध कब्जा हो चुका है या फिर उसे दस्तावेज़ों में निजी भूमि के रूप में दर्ज कराने की कोशिशें जारी हैं।
क्या है ‘बड़े झाड़ जंगल मद’ की हकीकत?
‘बड़े झाड़ जंगल मद’ वह श्रेणी है जो विशेष रूप से सरकारी एवं वन प्रकारीय भूमि के अंतर्गत आती है। ऐसी भूमि पर न तो कोई कब्जा दिया जा सकता है, न ही किसी प्रकार का निजी निर्माण या विक्रय हो सकता है। लेकिन राजस्व अमले ने इस परंपरागत नियम की धज्जियाँ उड़ाते हुए ऐसी भूमि को निजी नामों में दर्ज करने की कवायद को गति दी है।
कैसे होता है खेला?
– खामियों की तलाश: पटवारी, किसी पुराने रिकॉर्ड की तकनीकी खामी या अधूरी प्रविष्टि को पकड़कर कार्रवाई शुरू करता है।
 – दस्तावेजी हेराफेरी: ‘बड़े झाड़ जंगल मद’ को ‘अर्ज’ भूमि, ‘निष्कासित’, ‘खाराब’ या ‘असंदिग्ध’ मानकर, नकली नामों में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू होती है।
– अधिकारियों की मौन सहमति: तहसील कार्यालय से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों तक की आंखें मूंद जाती हैं।
– कब्जा और निर्माण: कागज में नाम आते ही मौके पर अवैध कब्जा, बाउंड्री, दीवार और निर्माण कार्य शुरू हो जाता है।
पहले भी हो चुके हैं पटवारी निलंबित
जिले के कुछ पटवारी पूर्व में भी शासकीय भूमि की हेराफेरी में लिप्त पाए गए थे और उनके विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई हुई थी। लेकिन दुर्भाग्यजनक यह है कि उन पर न तो विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी हुई और न ही कोई कठोर सजा दी गई। परिणामस्वरूप, वही तंत्र अब दोबारा सक्रिय है।
प्रशासन की चुप्पी या मिलीभगत?
यह सवाल अब जनता की जुबान पर है —
क्या प्रशासन सो रहा है या कहीं उसकी भी मिलीभगत है?
कलेक्टर, एसडीएम और राजस्व अधिकारियों द्वारा अब तक कोई संज्ञान न लेना, इस खेल को परोक्ष सहमति का संकेत देता है।
अब माँग है – जांच हो उच्चस्तरीय, कार्रवाई हो सख्त
– शासकीय भूमि और BJJM भूमि पर पिछले 10 वर्षों में हुए समस्त नामांतरणों की जाँच हो।
– जिला एवं संभाग स्तर पर विशेष जांच दल (SIT) गठित हो।
– दोषी पटवारी, नायब तहसीलदार, तहसीलदार व सहायक अधीक्षक भूमि अभिलेख पर तत्काल निलंबन की कार्रवाई हो।
यह मामला अब जनहित से जुड़ा है – यह केवल सरकारी ज़मीन नहीं, बल्कि आम जनता के अधिकारों और भविष्य की सम्पदा पर हो रहा सर्जिकल हमला है।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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