GPM में शिक्षा का सत्यानाश, लेकिन लापरवाह डीईओ को अभयदान! कब जागेगा शिक्षा विभाग,,
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बोर्ड परीक्षाओं के नतीजों को लेकर जहां एक ओर शिक्षा विभाग ने महासमुंद जैसे जिलों में सख्त कदम उठाए हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में सबसे शर्मनाक प्रदर्शन करने वाले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में चौंकाने वाली चुप्पी देखी जा रही है। सबसे खराब रिजल्ट के बाद भी यहां के लापरवाह जिला शिक्षा अधिकारी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
महासमुंद में डीईओ हटे, GPM में मौन क्यों?
महासमुंद में खराब प्रदर्शन के लिए डीईओ एम.आर. सावंत को तुरंत हटाया गया। लेकिन GPM जहां बोर्ड रिजल्ट ने रिकॉर्ड स्तर पर गिरावट दर्ज की, वहां के डीईओ को अब तक कुर्सी से हिलाया तक नहीं गया! आखिर शिक्षा विभाग की यह दोहरी नीति क्यों?
क्या राजनीतिक संरक्षण में बच रहे हैं GPM के डीईओ?
कई शिक्षकों और अभिभावकों का कहना है कि GPM में शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है, लेकिन डीईओ पर कोई असर नहीं दिखता। क्या यह अफसर किसी राजनीतिक छत्रछाया में है? वरना इतना खराब प्रदर्शन होने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
छात्रों का भविष्य दांव पर, विभाग तमाशबीन!
GPM के हजारों छात्र बोर्ड परीक्षा में पिछड़ गए, लेकिन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं, शिक्षकों की जवाबदेही तय नहीं, और जिला शिक्षा अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं।
जनता का सवाल – कब तक बचे रहेंगे नाकाम अफसर?
छत्तीसगढ़ की जनता अब सवाल कर रही है – जब महासमुंद में एक्शन लिया गया, तो GPM के नाकारा अफसर पर रहम क्यों? क्या शिक्षा के साथ यह मज़ाक अब और सहा जाएगा? अब वक्त है निर्णायक कदम उठाने का, वरना GPM का अगला परिणाम और भी भयानक हो सकता है!

Author: Saket Verma
A professional journalist