—रायपुर। छत्तीसगढ़ में इन दिनों एक वायरल पोस्टकार्ड सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें राज्य में मौजूद दो उपमुख्यमंत्रियों के पद को “अतिशेष” बताते हुए इन्हें समाप्त करने की मांग की गई है। पोस्टकार्ड में तर्क दिया गया है कि ये पद संविधान में निहित नहीं हैं और यह केवल “राजनीतिक संतुलन” बनाए रखने का जरिया बन चुके हैं, जिसका बोझ अंततः जनता पर ही पड़ता है।
पोस्टकार्ड में “युक्तियुक्तकरण” की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा गया है कि प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने की बजाय सरकार व्यर्थ के पदों पर खर्च कर रही है। यह भी उल्लेख किया गया है कि संविधान के अनुच्छेदों में उपमुख्यमंत्री का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जिससे यह पद महज एक राजनीतिक सौदेबाजी का प्रतीक बनकर रह गया है।
पोस्टकार्ड में छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार के दो उपमुख्यमंत्रियों — अरुण साव और विजय शर्मा— का नाम लिए बिना पूरे तंत्र की आलोचना की गई है और जनता से अपील की गई है कि वे इस विषय पर सवाल उठाएं।
क्या है युक्तियुक्तकरण?
यह शब्द प्रशासनिक सुधारों की उस प्रक्रिया को दर्शाता है जिसमें सरकार गैर-जरूरी, अप्रभावी या अतिरेक पदों और खर्चों को समाप्त करती है। इसका उद्देश्य सरकारी कार्यप्रणाली को अधिक कुशल, पारदर्शी और लागत-कुशल बनाना होता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
हालांकि इस वायरल पोस्टकार्ड को लेकर अभी तक किसी बड़े राजनीतिक दल की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह मुद्दा आने वाले समय में राजनीतिक बहस को जरूर हवा दे सकता है।
जनता की भूमिका अहम
सोशल मीडिया पर इस पोस्टकार्ड को साझा करने वाले कई लोगों ने इसे “साहसिक कदम” बताते हुए समर्थन किया है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह एक पक्षपाती अभियान है, जिसे विशिष्ट राजनीतिक हित साधने के लिए चलाया जा रहा है। अब देखना यह है कि क्या राज्य सरकार इस वायरल मांग को गंभीरता से लेगी, या यह भी अन्य मुद्दों की तरह समय के गर्त में चला जाएगा।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT