कटघोरा में बिजली संकट से उग्र ग्रामीणों ने किया नेशनल हाइवे जाम, थाना प्रभारी की तत्परता से टली टकराव की स्थिति
कटघोरा:कोरबा/कटघोरा क्षेत्र में लंबे समय से जारी बिजली संकट ने आखिरकार जनता का सब्र तोड़ दिया। बिजली की लगातार कटौती, अनियमित आपूर्ति और विभागीय उदासीनता से त्रस्त ग्रामीणों ने आज नेशनल हाइवे-130 पर बड़ा प्रदर्शन कर दिया। यह विरोध प्रदर्शन रजकम्मा के पास स्थित टोल प्लाज़ा के ठीक आगे किया गया, जहाँ सैकड़ों ग्रामीणों ने सड़क पर उतरकर चक्काजाम कर दिया। इससे बिलासपुर-अंबिकापुर मार्ग पर आवागमन घंटों के लिए बाधित हो गया।
कटघोरा थाना प्रभारी धर्म नारायण तिवारी
ग्रामीणों ने बिजली विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि बीते कई दिनों से गांवों में बिजली की स्थिति बदतर बनी हुई है। दिन में कई-कई घंटे बिजली गायब रहती है और रात को भी आपूर्ति स्थिर नहीं रहती। इस स्थिति से न केवल घरों में अंधेरा पसरा है, बल्कि किसानों की खेती, छात्रों की पढ़ाई और व्यापारिक गतिविधियाँ भी ठप हो गई हैं। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी पूरी तरह से मौन हैं — न कोई जवाब, न कोई स्थायी समाधान।
आक्रोशित ग्रामीणों का कहना था कि कई बार विभागीय कार्यालयों में जाकर शिकायतें दी गईं, फोन किए गए, लेकिन या तो कोई उठाता नहीं या सिर्फ आश्वासन देकर मामले को टाल दिया जाता है। विभाग की इस लापरवाही ने ग्रामीणों को विवश कर दिया कि वे सड़कों पर उतरें और अपनी आवाज़ बुलंद करें।
इस बीच जैसे ही प्रदर्शन की सूचना प्रशासन और पुलिस को मिली, कटघोरा थाना प्रभारी धर्म नारायण तिवारी तत्काल दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने पूरी स्थिति को संवेदनशीलता से संभाला। उग्र हो चुके ग्रामीणों से धैर्यपूर्वक संवाद किया और बिजली विभाग से बात कर त्वरित समाधान का आश्वासन दिलाया। थाना प्रभारी की यह तत्परता और समझदारी से भरी पहल से स्थिति सामान्य हुई और बड़ी टकराव की स्थिति टल गई। अंततः ग्रामीणों ने चक्काजाम समाप्त कर दिया और मार्ग बहाल किया गया।
हालांकि ग्रामीणों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है — अगर 24 घंटे के भीतर बिजली व्यवस्था को सामान्य नहीं किया गया, तो अगली बार प्रदर्शन और बड़ा होगा और पूरा ब्लॉक स्तर पर आंदोलन खड़ा किया जाएगा। ग्रामीणों की नाराज़गी अब केवल बिजली विभाग तक सीमित नहीं रही, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता पर भी सवाल उठने लगे हैं। जनता यह पूछ रही है कि आखिर कब तक उनकी समस्याओं को अनदेखा किया जाएगा और कब तक उन्हें बुनियादी सुविधाओं के लिए आंदोलन करना पड़ेगा?

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT