रायपुर : – परिवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट ने छत्तीसगढ़ के सत्ता और प्रशासन दोनों को हिला कर रख दिया है। इस चार्जशीट में एक रजत नामक अधिकारी को हनी-ट्रैप में फँसाने की गहरी साज़िश का खुलासा हुआ है। लेकिन मामला यहीं नहीं थमा। जैसे ही चार्जशीट सामने आई, 2005 बैच विशेष के अफसरों और कुछ बड़े चेहरों ने मिलकर रजत बचाओ मिशन की गुप्त बैठकें शुरू कर दीं।जबकिं असली मुद्दा बिग बॉस व्हाट्सऐप ग्रुप था, लेकिन जनता को गुमराह करने के लिए इसे आईपीएस की डायरी बताकर पेश करने का नाटक रचा गया।
चार्जशीट का खुलासा हनी-ट्रैप का खेल –
ED की चार्जशीट के मुताबिक, रजत नामक अधिकारी को योजनाबद्ध तरीके से हनी-ट्रैप में फँसाने की कोशिश की गई। यह कोई साधारण प्रकरण नहीं था, बल्कि भूपेश सिंडिकेट के नेटवर्क से जुड़ी सोची-समझी चाल थी। चार्जशीट में दर्ज है कि इस जालसाजी का मकसद किसी एक अधिकारी की छवि बिगाड़ना नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम को अपने कब्ज़े में रखना था। यानी, हनी-ट्रैप सिर्फ़ ज़रिया था, असली खेल सत्ता पर पकड़ मज़बूत करना था।
बैच विशेष की गुप्त बैठक मंत्रालय में बना प्लान –
जैसे ही यह मामला चार्जशीट से सार्वजनिक हुआ, मंत्रालय में 2005 बैच के अफसरों और ACB/EOW के मुखिया की बैठक हुई। बैठक का एजेंडा साफ़ था रजत को कैसे बदनामी से बचाया जाए। स्रोतों के मुताबिक़, इसमें यह तय किया गया कि असली साजिश के दस्तावेज़ और डिजिटल सबूतों से जनता का ध्यान भटकाया जाए। बिग बॉस व्हाट्सऐप ग्रुप के जिक्र को मोड़कर उसे किसी आईपीएस की निजी डायरी जैसा दिखाने की योजना बनाई गई। ताकि जनता और मीडिया का फोकस गलत दिशा में चला जाए और असली नेटवर्क छुपा रह सके।
शेख का सुझाव बिग बॉस चैट को डायरी बना दो –
बैठक में आरिफ़ शेख ने संकटमोचक की तरह सुझाव दिया। उनका कहना था कि अब तक हर नाकामी किसी न किसी आईपीएस पर डालकर हम बचते आए हैं। इस बार भी ED की चार्जशीट में जो बिग बॉस ग्रुप का उल्लेख है, उसे किसी आईपीएस की डायरी बताकर मीडिया में उछाल दो। जनता भ्रमित हो जाएगी और हम असली मामले से बच निकलेंगे। इस योजना पर तुरंत सहमति बन गई। जनसंपर्क विभाग को जिम्मेदारी दी गई कि इस नैरेटिव को अखबारों और पोर्टल्स तक पहुँचाया जाए। इसके बाद कई पोर्टल्स पर डायरी वाली खबरें वायरल भी हुईं, जिससे जनता का ध्यान असली मुद्दे से हटाने की कोशिश हुई।
हाई कोर्ट का आदेश डायरी कोर्ट में पेश ही नहीं हुई –
2005 बैच के इस नैरेटिव को हाई कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया है। 13/11/2024 को दिए गए आदेश में अदालत ने साफ़ कहा कि जिन पन्नों को डायरी बताकर प्रचारित किया जा रहा है, वे कोर्ट में कभी पेश ही नहीं किए गए। इसका मतलब साफ़ है ED की चार्जशीट में बिग बॉस चैट का जिक्र है, डायरी का नहीं।यानि डायरी नाटक सिर्फ़ असली साज़िशकारों को बचाने और जनता का ध्यान भटकाने का एक और हथकंडा है।
ED के सबूत चैट, कॉल और पैसों का कनेक्शन –
चार्जशीट में सिर्फ़ आरोप नहीं, बल्कि तकनीकी और वित्तीय सबूत भी दर्ज हैं। बिग बॉस ग्रुप की चैट-लॉग, कॉल-डेटा रिकॉर्ड (CDR), पैसों के लेन-देन के सबूत, और गवाहों के बयान। ED का दावा है कि इस नेटवर्क का दायरा व्यापक है और यह सिर्फ़ व्यक्तिगत घटनाओं तक सीमित नहीं। यानी मामला गंभीर है और इसे डायरी कहकर टाला नहीं जा सकता।
ACB/EOW पर सवाल चिन्मय बघेल की गिरफ्तारी क्यों नहीं?
बीजेपी कार्यकर्ताओं का सबसे बड़ा सवाल यही है जब ED ने अदालत में चिन्मय बघेल को शराब घोटाले का किंगपिन बताया है, तो ACB/EOW ने आज तक उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं की? गंभीर साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद ACB/EOW ने न तो पूछताछ की और न ही दबाव बनाया। अब चिन्मय बघेल ने एंटीसिपेटरी बेल की अर्जी लगा दी है। अगर बेल मिल जाती है, तो यह माना जाएगा कि ACB/EOW के मुखिया ने जानबूझकर जांच में ढिलाई बरती और भूपेश सिंडिकेट को बचाने का काम किया।
बीजेपी कार्यकर्ताओं की नाराज़गी मुख्यमंत्री ने रोक लगाई –
जब पार्टी कार्यकर्ता ACB/EOW के मुखिया से सवाल पूछते हैं तो जवाब मिलता है माननीय मुख्यमंत्री जी ने रोक लगा रखी है। लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह बहाना जनता को गुमराह करने के लिए है। उनकी दलील है कि यह सब 2005 बैच सिंडिकेट की बड़ी योजना है, ताकि 2028 में फिर सत्ता भूपेश गुट को लौटाई जा सके।
असली साज़िशकार कौन?
क्या डायरी का नाम लेकर असली सबूतों को दबाया जा रहा है? क्या मंत्रालय और बैच विशेष की बैठकें रजत बचाओ मिशन के लिए हो रही हैं? क्या जांच एजेंसियाँ सच में स्वतंत्र हैं? और सबसे बड़ा सवाल क्या 2028 की सत्ता वापसी की तैयारी हो रही है?
पारदर्शिता ही आख़िरी उम्मीद –
ED की चार्जशीट ने जो परतें खोली हैं, उन्होंने सत्ता और प्रशासन दोनों के चरित्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता अब देख रही है कि क्या एजेंसियाँ सच सामने लाएँगी, या डायरी नाटक बनाकर असली षड्यंत्रकारी बचा लिए जाएँगे।
नोट – इस रिपोर्ट में दिए गए तथ्य ED की चार्जशीट , हाई कोर्ट के आदेश और संबंधित सूत्रों के आधार पर हैं। किसी भी नामित व्यक्ति पर आरोप अदालत में साबित होने तक केवल आरोप ही माने जाएँगे।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT