वर्दी के घमंड से कलम कुचलने की साजिश! बिलाईगढ़ थाना प्रभारी शिव कुमार धारी पर पत्रकारों का आक्रोश
वरिष्ठ पत्रकार दीपक गुप्ता की खास रिपोर्ट:
सारंगढ़–बिलाईगढ़। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ, पत्रकारिता, जब सत्ता से सवाल उठाता है और जनता को जागरूक करता है, तो कुछ वर्दीधारी इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते। बिलाईगढ़ में यह सच तब उजागर हुआ जब पत्रकारों ने अवैध शराब और जुए के कारोबार में कथित पुलिस संरक्षण पर रिपोर्ट छापी। वरिष्ठ पत्रकार नरेश चौहान ने एक सरपंच की लिखित शिकायत के आधार पर अवैध शराब बिक्री और कमीशनखोरी का खुलासा किया, और जैसे ही खबर प्रकाशित हुई, थाना प्रभारी शिव कुमार धारी के होश उड़ गए।
सूत्रों का कहना है कि टीआई ने अपनी गलती छिपाने और सच्चाई दबाने के लिए फर्जी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पत्रकारों की साख पर हमला किया और उन्हें नोटिस व कानूनी कार्रवाई की धमकी दी। इस कदम ने पूरे जिले में मीडिया जगत में आक्रोश फैला दिया। पत्रकारों का कहना है कि ऐसे अधिकारी वर्दी के दम पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं, पर अब यह खेल नहीं चलेगा।
स्थानीय सूत्रों और पत्रकार संगठनों का आरोप है कि शिव कुमार धारी का रिकॉर्ड पहले से ही विवादों से भरा हुआ है। उन्होंने कई बार मनमानी, वसूली और पक्षपात के आरोप झेले हैं। अब अवैध शराब और जुए के संरक्षण के आरोपों ने उनके खिलाफ तलवार और तेज कर दी है। पत्रकारों ने साफ कहा कि सिर्फ निलंबन नहीं, बल्कि कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि वर्दी का दुरुपयोग रुक सके और जनता का भरोसा बहाल हो।
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति और जिले के पत्रकारों ने उच्च अधिकारियों से तत्काल निष्पक्ष जांच कराने, दोषी थाना प्रभारी पर सख्त कार्रवाई करने और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे प्रदेश के पत्रकार सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे और ऐसे अधिकारियों की असलियत जनता के सामने लाएंगे।
स्थानीय नागरिक भी नाराज़ हैं। उनका कहना है कि अवैध शराब और जुए का कारोबार खुलेआम चल रहा है, शिकायत करने वालों को डराया जाता है और पत्रकारों को ही निशाना बनाया जाता है। पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि सच्चाई लिखना अपराध नहीं, साहस है, और वर्दी के दम पर कलम को कुचलने की कोशिश करने वालों की जांच अब अनिवार्य होगी। बिलाईगढ़ में अब माहौल गर्म है। एक ओर वर्दी की दबंगई है, तो दूसरी ओर पत्रकारों की निडर कलम। पत्रकारों का संदेश साफ है: “कलम नहीं झुकेगी, लोकतंत्र की आवाज दबाने वालों की असलियत अब जनता के सामने आएगी।”
Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT









