गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही। जयवर्धन कुरोठे और डॉ. श्रीयता कुरोठे की जोड़ी केवल एक अफसर दंपत्ति नहीं है—यह छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक ढांचे की उन दरारों की प्रतीक है, जिनमें से भ्रष्टाचार की नदियाँ बह रही हैं। और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस दंपत्ति की अकूत संपत्ति की शिकायतें पहले भी की जा चुकी हैं, लेकिन शासन-प्रशासन ने आँखें मूंद लीं।
शिकायतें दबी, सवाल खड़े
स्वास्थ्य विभाग की महिला चिकित्सक होते हुए भी डॉ. श्रीयता कुरोठे के पास जिस स्तर की संपत्ति है—वह उनकी आय से कई गुना अधिक है। सूत्रों के अनुसार:
रायपुर, बिलासपुर, गौरेला-पेंड्रा और कोरबा में रजिस्ट्री कराई गईं जमीनें
लाखों का इंटीरियर और आलीशान मकान
बेनामी प्लॉटिंग डील्स
परिवार के नाम पर चल रहे संपत्ति निवेश
इन संपत्तियों को लेकर वर्ष 2023-24 में भी EOW और स्वास्थ्य विभाग में लिखित शिकायत की गई थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उस शिकायत को या तो दबा दिया गया या कागजी खानापूर्ति कर बंद कर दिया गया।
क्या चुप्पी भी सौदे का हिस्सा थी?
अब बड़ा सवाल यह है कि जब पहले भी इनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं, और जब अब नया मामला सामने आ चुका है—तो अब तक कोई विभागीय जांच क्यों नहीं बैठी?
क्या यह चुप्पी भी किसी “ऊपरी संरक्षण” की निशानी है?
मौन शासन से बड़ा अपराध कोई नहीं
प्रशासन अगर आरोपियों पर कार्रवाई नहीं करता, तो वह सीधे-सीधे उन्हें बढ़ावा देता है।
डॉ. श्रीयता का विभागीय जांच से बचना
जयवर्धन की अवैध संपत्ति की जांच न होना
ट्रांसफर के बाद भी पद पर बने रहना
और अब धमकी के बाद भी सिर्फ FIR तक सीमित कार्रवाई
ये सब एक सोची-समझी मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं।
जनता की मांग अब तेज़ है:
1. डॉ. श्रीयता कुरोठे को तत्काल निलंबित कर EOW जांच शुरू की जाए
2. जयवर्धन कुरोठे की संपत्ति राजसात की जाए
3. पूर्व शिकायतों को सार्वजनिक कर पूर्व अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में लाई जाए
4. उच्चस्तरीय लोकायुक्त/विधायकी जांच आयोग गठित हो
यदि यह सिस्टम अब भी नहीं जागा, तो जनता का भरोसा सिर्फ डगमगाएगा नहीं – बिखर जाएगा।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT