रायपुर : – आज से लगभग 12 साल पहले एक अफसर ने ऐसे नवाचार पर न सिर्फ विचार किया बल्कि उसे मूर्त रूप देने का भी कार्य किया । ऐसे कुछ चंद अफसर ही होते है जो सरकारों का खर्च बचाते हुए नए नए इन्वोवेशन वाले कार्य करते है । आज जब सरकार ई मंत्रालय को गढ़ने की तैयारी कर रही है तो यह नवाचार सरकार और प्रशासन दोनों के लिए वरदान साबित हो रहा है । इस कंप्यूटराइड तकनीक से शासन को सालाना जो 10 लाख रुपयों का खर्च था आज वह शून्य में आ गया है। एक क्लिक पर एक साथ 250 से अधिक कार्यालयों को डाक भेजा जाने लगा है यह व्यवस्था बीते 12 वर्षो से प्रदेश में चल रही है जिसका नाम है ” ई डॉकेट प्रणाली”
क्या है ई डॉकेट प्रणाली : –
ई डॉकेट प्रणाली एक ऐसी तकनीक है जो शासकीय पत्र भेजने का अनोखा तरीका है । इसके तहत प्रत्येक कार्यालय के कम से कम एक कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़कर कार्यालय को यूनिक कोडनेम दिया गया । कोई भी डाक जिसे भी जहां भेजनी हो उसका पीडीएफ फॉर्मेट उस कार्यालय पर अपलोड कर भेज दिया जाने लगा । इस व्यवस्था में यह भी जोड़ा गया कि एक क्लिक पर एक साथ संचालनालय से 250 मैदानी कार्यालयों तक पत्र भेजे जा सकते हैं वो भी मात्र एक सेकंड में ।
क्या है इसकी खूबियां : –
इस व्यवस्था में हर भेजी जाने वाली डाक का एक यूनिक नंबर क्रिएट होता है । इसके साथ ही डाक पाने वाले को डाक भेजते ही एस एम एस जाता है । डाक भेजने वाले को ये पता चल जाता है कि पाने वाले ने पत्र देखा या नहीं ,यदि देखा तो डाउनलोड किया या नहीं ,यदि डाउनलोड किया तो उत्तर दिया या नहीं ? इन सबके चिन्ह बनाए गए थे जो कम्प्यूटर में हर डाक के बाजू में दिखाई देते हैं । डाक पाने वाले जब तक डाक खोलकर डाउनलोड नहीं करते तब तक उनके कम्प्यूटर पर और भेजने वाले के कम्प्यूटर पर एक पॉप अप साइन जंप करता रहता है ।
ई डॉकेट प्रणाली के फायदे : –
इस प्रणाली से सालाना लगभग लाखो रुपये की बचत , विभाग को डाक टिकट और स्पीड पोस्ट पर होना आरम्भ हुई जो कि आज पिछले 12 साल से जारी है । साथ ही सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि विभाग के खटराल अफसर और बाबू जो जानकारी न देने का ये बहाना बनाते थे कि डाक नहीं मिली उनके मुंह बंद हो गए और काम करना इनकी मजबूरी हो गई ।
कौन है अफसर जिसके नवाचार की हो रही सराहना : –
उस अफसर का नाम है सुब्रत साहू जो 1992 बैच के आईएएस अधिकारी है । जिन्होंने वर्ष 2012 में इस इस तकनीक का इजात किया तब सुब्रत साहू महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव और आयुक्त थे । इस व्यवस्था में सुब्रत साहू ने अपनी निगरानी में एक सॉफ्टवेयर तैयार करवाकर शासकीय पत्र भेजने का अनोखा तरीका ईजाद किया । इस तकनीक को ( ई डॉकेट ) प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी के लिए उत्कृष्ट अवार्ड , स्कोच अवार्ड जैसे न केवल कई अवार्ड मिले बल्कि अनेकों राज्यों की टीम ने इसे देखा और इसकी सराहना भी की ।
क्या कहते है सुब्रत साहू इस तकनीक पर : –
इस उत्परिवर्तन पर जब हमने सुब्रत साहू से बात कि उन्होंने बताया कि इस तकनीक और पूरी व्यवस्था में बहुत कम खर्च किया गया जो लगभग 50 हजार रुपये तक थी । इस तकनीक को लागू कराने में मात्र 55 दिन का ही समय लगा जो इतने कम दिनों में तैयार हो गई । सुब्रत आगे बताते है कि इसमे सबसे बड़ी सफलता यह है कि आज जब मेरा स्थानात्तरण हो गया है उसके बाद भी यह व्यवस्था सुचारू रूप से चलाई जा रही है। यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है । साथ ही यह मेरी नैतिक जवाबदारी थी जिसका मैंने निष्ठा पूर्ण निर्वहन किया आगे भी सरकार और प्रदेश के लिए कुछ नवाचार पर विचार है जिन्हें मूर्त रूप देने के लिए मेरी प्रतिबद्धता है

Author: रितेश गुप्ता
Professional journalist