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अब आदिवासी समाज भी उतरा मैदान में: अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक संघ ने उठाई कार्रवाई की मांग

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गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही। आयुष कार्यालय में पदस्थ आदिवासी अधिकारी डॉ. कैलाश सिंह मरकाम के साथ हुए दुर्व्यवहार, जातिगत अपमान और धमकी के मामले ने अब बड़ा रूप ले लिया है। यह मामला अब छत्तीसगढ़ के सबसे प्रभावशाली संगठन “अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक संघ” तक पहुँच गया है।
संघ ने इस पूरे घटनाक्रम को “आदिवासी अधिकारी के सम्मान और गरिमा पर सीधा हमला” बताया है और मांग की है कि डॉ. श्रीयता कुरोठे और उनके पति जयवर्धन कुरोठे के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।
✊ आदिवासी अधिकारी को निशाना बनाना बर्दाश्त नहीं – संघ
संघ के प्रदेश पदाधिकारियों ने स्पष्ट कहा है कि—
> “एक आदिवासी अधिकारी, जो अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभा रहा था, उसे कुर्सी से हटाने के लिए एक महिला अधिकारी और उसका दबंग पति सरकारी कार्यालय में घुसकर धमकाते हैं, यह सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि जातीय उत्पीड़न का गंभीर मामला है।”
संघ ने मांग की है कि:
SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तारी की जाए
पीड़ित अधिकारी को सुरक्षा दी जाए
डॉ. श्रीयता कुरोठे को तत्काल निलंबित किया जाए
पूरे मामले की आर्थिक और जातीय उत्पीड़न के पहलुओं से जांच की जाए
📣 संघ देगा आंदोलन की चेतावनी
सूत्रों के अनुसार, अगर प्रशासन ने इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं की, तो छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक संघ पूरे राज्यभर में विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की तैयारी कर रहा है।
“संघ पीड़ित अधिकारी के साथ खड़ा है और अब यह लड़ाई केवल व्यक्ति की नहीं, पूरे आदिवासी समाज की अस्मिता की है।”
⛔ चुप रहना अब असंभव!
सरकार और प्रशासन को अब यह तय करना है कि वे भ्रष्ट अफसरों के साथ खड़े रहेंगे या एक ईमानदार, शांत और कर्तव्यनिष्ठ आदिवासी अधिकारी को न्याय दिलाएंगे।अब सवाल सिर्फ डॉ. श्रीयता और जयवर्धन की गुंडागर्दी का नहीं है, बल्कि सवाल है कि क्या आदिवासी अफसर इस राज्य में सुरक्षित हैं?
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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