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आदिवासी अधिकारी के अपमान पर भड़का संघ: श्रीयता कुरोठे और उनके पति पर एट्रोसिटी एक्ट में FIR व गिरफ्तारी की मांग, नहीं तो उग्र आंदोलन की चेतावनी

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आदिवासी अधिकारी के अपमान पर संघ का फूटा गुस्सा!एट्रोसिटी एक्ट के तहत FIR और दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग, नहीं तो उग्र आंदोलन
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही। जिला आयुष कार्यालय में आदिवासी अधिकारी डॉ. कैलाश मरकाम के साथ की गई अभद्रता, जातिगत अपमान और धमकी के मामले में अब छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक संघ पूरी ताकत से सामने आ गया है।
प्रांताध्यक्ष श्री आर.एन. ध्रुव ने इस घटना को जातिगत विद्वेष और प्रशासनिक दबंगई का घिनौना उदाहरण बताया और स्पष्ट चेतावनी दी:
> “यह सिर्फ एक ट्रांसफर विवाद नहीं, बल्कि एक आदिवासी अधिकारी को जातीय आधार पर टारगेट करने की साज़िश है।
संघ की मांग है कि डॉ. श्रीयता कुरोठे और उनके पति पर SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत तत्काल FIR दर्ज की जाए और **उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
यदि 3 दिन के भीतर कार्रवाई नहीं हुई, तो संघ राज्यव्यापी उग्र आंदोलन छेड़ेगा।”
क्या है मामला?
दिनांक 4 जुलाई 2025 को दोपहर 1:25 बजे, डॉ. श्रीयता कुरोठे अपने पति जयवर्धन उर्फ मनीष कुरोठे के साथ आयुक्त आयुष कार्यालय गौरेला में घुस गईं और नवनियुक्त प्रभारी अधिकारी डॉ. कैलाश सिंह मरकाम को भरी ऑफिस में गाली-गलौज, धमकी और जातिगत अपमान का शिकार बनाया।
जातिगत अपमान: शिकायत में डॉ. मरकाम ने लिखा है कि वे आदिवासी समाज से हैं और आरोपी दंपत्ति ने उनकी जाति को निशाना बनाते हुए अपमानित किया।
कहा गया —–FIR तो हुई, पर अधूरी — संघ नाराज़:
थाना गौरेला में BNS की धारा 221 (शासकीय कार्य में बाधा) और 121(1) (धमकी देना) के तहत FIR दर्ज जरूर हुई है,
लेकिन अब तक SC/ST Act नहीं लगाया गया है।
संघ के अनुसार यह कानून का सीधा उल्लंघन है क्योंकि किसी अनुसूचित जनजाति के अधिकारी को उसकी जाति के कारण अपमानित करना सीधा एट्रोसिटी एक्ट का मामला है।
संघ की चेतावनी: 3 दिन की डेडलाइन
प्रांताध्यक्ष श्री आर.एन. ध्रुव ने कहा:
> “हम प्रशासन को 3 दिन का अल्टीमेटम दे रहे हैं।
यदि SC/ST एक्ट के तहत FIR नहीं होती, तो संघ आंदोलन करेगा — कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव, प्रदेशभर में ज्ञापन, धरना, और न्यायालय की शरण तक जाएंगे।”
❗ बड़ा सवाल – क्या जातीय अपमान पर भी राजनीति भारी पड़ेगी?
क्या आदिवासी अधिकारी को न्याय मिलेगा?
क्या SC/ST एक्ट को लेकर प्रशासन गंभीर है या राजनीतिक दबाव में है?
क्या शासन की निष्क्रियता आदिवासी कर्मचारियों के आत्मसम्मान को और नहीं तोड़ेगी?
> यह सिर्फ कानून का मामला नहीं, आदिवासी अस्तित्व की लड़ाई है। अब संघ पीछे नहीं हटेगा।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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