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आबकारी वृत्त के हाथभट्ठी शराब धरपकड़ का खेला: पाली का बस स्टैंड बना भयादोहन और उगाही का अड्डा, महिलाएं व बच्चे बन रहे इनके खेल का शिकार,

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कोरबा/पाली:- आबकारी वृत्त के द्वारा पाली विकासखण्ड के गांव- गांव में बिक रहे बिना डिग्री की हाथभट्ठी अवैध शराब के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की आड़ में भयादोहन कर वसूली का खेल इन दिनों चरम सीमा पर है। जहां शराब बिक्री वाले घरों की महिलाएं और महज पांच- दस वर्ष के बच्चे इनके इस खेल में शिकार बन रहे है। जिन्हें आबकारी अमला अपने चारपहिया वाहन में बलात बिठा और जेल भेजने का भयादोहन कर पाली बस स्टैंड ले आती है और घर के मुखिया से इनकी उगाही की रकम तय होने पश्चात उन्हें छोड़ दिया जाता है। वहीं खुद के सेवन के लिए शराब बनाने वाले क्षेत्र के आदिवासी वर्ग भी इनके प्रताड़ना से त्रस्त है।

यूं तो आबकारी विभाग का काम अवैध शराब विक्रय को रोकना है परंतु इसके विपरीत विभाग इन दिनों गांवों में बिक रहे महुआ शराब वाले घरों में छापामार कार्रवाई की आड़ में जमकर उगाही करने में मस्त है। जिसमे विभाग के अधिकारी व कर्मचारी पूरे तरीके से संलिप्त है। गौरतलब है कि आबकारी वृत का अमला वाहन क्रमांक- CG 10 AJ 1821 में गांव- गांव बिकने वाले अवैध शराब धरपकड़ के लिए इन दिनों घूम रही है। जहां मुखबिर से प्राप्त महुआ शराब बिक्री सूचना के बाद बिक्री वाले ठिकाने पर छापामार की कार्रवाई तो करती जरूर है और कुछ हद तक शराब की जब्ती भी बनाती है। इस दौरान शराब जब्ती वाले घरों की महिलाएं व पांच से दस वर्ष तक के बच्चों को अपनी वाहन में बिठा पाली का नया बस स्टैंड लेकर पहुँचते है। जहां उन पर कार्रवाई कर जेल भेज देने के नाम से घर के मुखिया अथवा अन्य सदस्यों को डरा- धमका मोटा रकम वसूल कर वाहन में बिठाए महिलाओं, बच्चों को छोड़ा जाता है।

आबकारी वृत्त के इस खेल का शतरंज यह होता है कि तय की गई रकम मिल गई तब तो सब ठीक और माहवारी भी फिक्स कर दी जाती है, अन्यथा जब्ती एक या दो बोतल शराब और सुनियोजित तरीके से उसे भारी मात्रा बनाकर महिलाओं पर ज्यादातर कार्रवाई दिखाई जाती है। इस बाबत जब गांवों में जाकर शराब बिक्री वाले ठिकानों में पता किया गया तब नाम ना उजागर करने की शर्त पर महुआ शराब बिक्री करने वाले लोगों ने आबकारी विभाग के कृत्य को बताते हुए उन्हें माहवारी देने की बात कही। अधिकतर शराब विक्रेताओं ने बताया हम लोग काम को अच्छे से चलाने के लिए हर माह आबकारी अमला को उनके वेतन के अनुरूप पैसा देते है, और कभी- कभी तो आबकारी कर्मचारी भी हप्ते- हप्ते में आकर पेट्रोल और चाय- पानी का खर्च ले जाते है। इस प्रकार हमारा धंधा चल रहा है। वहीं कई लोगों ने महुआ शराब बनाने को अपनी सेवन का कारण बताया। बता दें कि आदिवासी बाहुल्य इस क्षेत्र में गांवों के अधिकतर ग्रामीण अपनी सेवन के लिए हाथभट्ठी महुआ शराब घरों में बनाते है।

जिन्हें भी आबकारी का अमला प्रताड़ित करते हुए अवैध उगाही कर रहा है। ऐसे में गांव- गांव घूम रहे बेलगाम आबकारी वृत पैसे का लेनदेन कर अवैध शराब विक्रय को बढ़ावा दे रहै है और पैसा नही मिलने पर कार्यवाही किया जा रहा है, तो स्वयं के सेवन हेतु शराब बनाने वाले भोले- भाले आदिवासी परिवारों को प्रताड़ित किया जा रहा है। जिस पर प्रशासन को संज्ञान लेने की आवश्यकता है।

Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional journalist

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