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वन विभाग का सस्पेंस थ्रिलर: सस्पेंड टीम, मगर ‘सरगना’ अब भी कुर्सी पर!सुशासन तिहार में उभरा मामला

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1.02 करोड़ के घोटाले में संलिप्त SDO संजय त्रिपाठी पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई, दोष सिद्धि के बावजूद शासन मौन
कोरबा/कटघोरा। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही (GPM) जिले में वन विभाग में 1.02 करोड़ की अनियमितता उजागर होने के बावजूद इस मामले के मुख्य आरोपी एसडीओ संजय त्रिपाठी पर अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। जांच में दोषी पाए गए अन्य कर्मचारियों को जहाँ सस्पेंड किया गया, वहीं संजय त्रिपाठी अब भी कटघोरा वनमंडल में उसी पद पर जमे हुए हैं, जिससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या सत्ता का संरक्षण अब भी जारी है?
डीएफओ कुमार निशांत की कमेटी ने माना था दोषी
बिलासपुर में तत्कालीन डीएफओ रहे कुमार निशांत की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच के बाद त्रिपाठी को दोषी पाया था। आज वही कुमार निशांत कटघोरा में डीएफओ हैं और त्रिपाठी उनके अधीनस्थ। ऐसे में कार्यवाही की निष्पक्षता और प्रशासनिक इच्छाशक्ति दोनों पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं।
जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया था?
06 मार्च 2023 को प्रमुख सचिव को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपाठी ने रोपणी प्रबंधन समिति चिचगोहना और नेचर कैंप समिति जामवंत माड़ा गगनई के नाम पर फर्जी समितियाँ बनाकर करीब 99.30 लाख रुपये का दुरुपयोग किया। साथ ही, टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर महंगे दामों में खरीदारी कर करीब 2.69 लाख रुपये का अतिरिक्त नुकसान शासन को पहुंचाया।
सुशासन तिहार में उभरा मामला, लेकिन ठंडी कार्रवाई!
वर्तमान सरकार के “सुशासन तिहार” के दौरान यह मामला फिर से उठा, जिससे जनता को उम्मीद थी कि कार्रवाई होगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यही वजह है कि लोग पूछ रहे हैं — क्या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा?
तबादले की नीति में भी ‘खेल’?
हाल ही में कई आईएफएस अधिकारियों के तबादले हुए, लेकिन कटघोरा के डीएफओ कुमार निशांत का नाम सूची में नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, स्थानांतरण सुनिश्चित माना जा रहा था, लेकिन किसी ‘ऊपर’ की मेहरबानी से तबादला रुकवा लिया गया।

अब सवाल यह है: क्या शासन त्रिपाठी और निशांत की जोड़ी पर कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पाएगा या यह मामला भी “भ्रष्टाचार संरक्षण नीति” की बलि चढ़ जाएगा?
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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