बिलासपुर/कोटा – छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा थाना क्षेत्र अंतर्गत लमेर घाट में सोमवार की शाम रेत माफियाओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई खूनी संघर्ष में तब्दील हो गई। इस झड़प के दौरान चली गोली में एक युवक को गंभीर चोट आई है। घटना ने इलाके में सनसनी फैला दी है, लेकिन पुलिस की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है।
घटना में घायल युवक गिरजाशंकर उर्फ दीपक यादव पिता मनीराम यादव, निवासी लमेर, को बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि यह हिंसा घाट पर अवैध रेत खनन को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद का परिणाम है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों गुटों के बीच जमकर कहासुनी और मारपीट हुई और फिर अचानक गोली चल गई, जो दीपक यादव के पैर में जा लगी।
पुलिस की कहानी: हादसा था, साज़िश नहीं!
पुलिस ने प्रेस को बताया कि यह कोई आपराधिक षड्यंत्र नहीं बल्कि “दुर्घटनावश चली गोली” थी। पुलिस के मुताबिक, दीपक यादव अपने दोस्त दीपक रजक के साथ घूम रहा था, तभी छबि यादव नामक युवक ने उन्हें एक पिस्तौल दिखाई जो उन्हें नकली लगी। इसी दौरान छबि यादव के हाथ से कथित रूप से ट्रिगर दब गया और गोली चल गई।
सवाल यह उठता है कि—
छबि यादव के पास पिस्तौल आई कहाँ से?
यदि यह “खेल” था, तो असली हथियार क्यों?
स्थानीय लोग जिस माफिया संघर्ष की बात कर रहे हैं, उसे दबाने की कोशिश क्यों?
रेत घाटों पर माफियाओं का कब्जा, प्रशासन मौन!
लमेर घाट समेत अरपा नदी के कई घाटों पर अवैध रेत खनन वर्षों से बेरोकटोक चल रहा है। खनिज विभाग द्वारा रेत घाटों का ठेका न होने के कारण माफियाओं की सक्रियता और बढ़ गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन माफिया गठजोड़ की सच्चाई को छुपा रहे हैं और अब गोलीकांड को “दुर्घटना” बताकर लीपापोती कर रहे हैं।
मामले की निष्पक्ष जांच की मांग
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने इस गोलीकांड की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो रेत माफियाओं के हौसले और बुलंद होंगे और अगली बार कोई बड़ी जानलेवा घटना घट सकती है।
क्या यह वाकई महज़ एक दुर्घटना थी? या फिर इस “गलती” के पीछे छिपा है कोई संगठित रेत माफिया नेटवर्क? सवाल जनता के हैं, जवाब प्रशासन को देना होगा!

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT