—मरवाही में ‘स्ट्रीट लाइट’ घोटाला: पंचायत सचिव, ठेकेदार और इंजीनियर ने रची लूट की साजिश, सरकार की योजना को बना डाला भ्रष्टाचार की डायरी!
सेखवा पंचायत में विकास नहीं, भ्रष्टाचार की लाइटें जल रहीं हैं!
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की जनपद पंचायत मरवाही के ग्राम पंचायत सेखवा में उजाले की सरकारी योजना को अंधेरे में तब्दील कर दिया गया। स्ट्रीट लाइट लगाने के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़ा, और वह भी पूरी साजिश के साथ—जिसके पीछे हैं पंचायत सचिव गीता मार्को, ठेकेदार दिनेश वासुदेव, और उपयंत्री संजय राजपूत।
इन तीनों ने मिलकर सरकार की योजना को ‘कमाई का धंधा’ बना डाला और गांव की गलियों में लाइट नहीं, भ्रष्टाचार की गूंज छोड़ी।
मुख्य सरगना: गीता मार्को, दिनेश वासुदेव और संजय राजपूत
गीता मार्को, पंचायत सचिव, घोटालों की लिस्ट में कोई नया नाम नहीं। जहां-जहां गईं, वहां लूट के निशान छोड़ आईं।
दिनेश वासुदेव, ठेकेदार, जिसने घटिया माल, फर्जी बिल और फरेब से लाखों की चपत शासन को लगाई।
संजय राजपूत, उपयंत्री, जो तकनीकी जांच का जिम्मेदार था, मगर जांच छोड़कर सांठगांठ में शामिल हो गया। जांच रिपोर्टों में साफ है—घोटाले की पटकथा पहले ही लिख दी गई थी, और यह तिकड़ी सिर्फ उसे अंजाम दे रही थी।
119 लाइटों का दावा, 74 की हकीकत – वो भी कबाड़!
5 लाख से ज़्यादा की राशि निकाली गई, 119 स्ट्रीट लाइटों का हवाला दिया गया, लेकिन 74 घटिया लाइटें ही लगाई गईं। ग्रामीणों का कहना है, एक माह भी नहीं चला उजाला, और शिकायतों पर कार्रवाई के बजाय लीपापोती शुरू हो गई। इतना ही नहीं, ठेकेदार द्वारा दिए गए बिल में ईंट, गिट्टी, सीमेंट, मुरुम और पानी टंकी के सप्लायर का नाम है, लेकिन उन्हीं के नाम पर बिजली सामग्री का बिल पेश कर दिया गया!—यह सीधा बिल फर्जीवाड़ा और आपराधिक धोखाधड़ी है।
पंचायत की बैठकों से लेकर बिल भुगतान तक—सबकुछ ‘स्क्रिप्टेड’!
बैठकों के मिनट्स पहले से तय।
कार्य आदेशों में फर्जीवाड़ा।
मस्टर रोल और भुगतान बिल पहले से तैयार।
यह कोई साधारण भ्रष्टाचार नहीं, सुनियोजित सरकारी लूट है।
15वें वित्त आयोग की राशि से खेला गया यह करोड़ों का खेल!
इस योजना के लिए आई राशि 15वें वित्त आयोग की थी, जो गांव के विकास के लिए थी। मगर इस तिकड़ी ने उसे अपने निजी विकास में लगा दिया। यह सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि नैतिक दिवालियापन भी है।
अब सवाल जनता और शासन दोनों से है:
क्या गीता मार्को जैसी घोटालेबाज़ सचिव को बर्खास्त किया जाएगा?
क्या ठेकेदार दिनेश वासुदेव और इंजीनियर संजय राजपूत पर FIR, गिरफ्तारी और आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा?
क्या इस तिकड़ी की अचल संपत्ति, बैंक खाते और लेनदेन की जांच होगी?
–अगर इस घोटाले पर भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संकेत होगा कि शासन की योजनाएं नहीं, घोटालेबाज़ों की जमानतें मजबूत हैं।
यह खबर नहीं, गांव-गांव से उठती पुकार है कि अब और सहन नहीं। अब शासन को दिखाना होगा कि कानून सिर्फ कागज़ पर नहीं, ज़मीन पर भी ज़िंदा है।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT