अंबिकापुर/मरवाही। सरकार की जमीन हड़पकर बनाए गए अवैध कब्जों पर अब बुलडोजर का कहर टूटने लगा है। अंबिकापुर के ग्राम चोरखा कछार में शनिवार को वन विभाग, राजस्व अमले और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में 39 अवैध मकानों को जमींदोज कर दिया गया। बुलडोजर के गरजने के साथ अवैध निर्माणों की ईंट-दर-ईंट गिराई गई। भीषण गर्मी के बीच 500 से अधिक जवानों की तैनाती ने इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया।
इस कार्यवाही से पहले वन विभाग ने कब्जाधारियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन कब्जा न हटाने पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने भी साफ कहा – “किसी को भी सरकारी ज़मीन पर कब्जा करने की छूट नहीं, नोटिस के बाद भी कब्जा न हटे तो फिर बुलडोजर ही आख़िरी विकल्प है।”
मरवाही में मौन क्यों है प्रशासन?
जहां एक ओर अंबिकापुर, रायगढ़ सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में अवैध अतिक्रमण हटाने की मुहिम तेज़ हो गई है, वहीं मरवाही वनमण्डल में सैकड़ों एकड़ वन भूमि पर कब्जा जमाए बैठे भू-माफिया मज़े में हैं। न कोई नोटिस, न कोई कार्यवाही… यहां अधिकारियों की चुप्पी संदेह पैदा कर रही है।
सूत्र बताते हैं कि वन विभाग के उच्च अधिकारियों की उदासीनता, और परिक्षेत्र स्तर के अफसरों की मिलीभगत के चलते मरवाही की वन भूमि को दिन-दहाड़े लूटा जा रहा है। सालों से कब्जाधारी जंगल की जमीन पर पक्के निर्माण कर चुके हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ ‘फाइलों का खेल’ चल रहा है।
जनता का सवाल – क्या मरवाही माफियाओं की ‘शरणस्थली’ बन चुकी है?
सरकार की ज़मीन पर अतिक्रमण एक गंभीर अपराध है, लेकिन मरवाही में सत्ता और सिस्टम की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या यहां अधिकारियों की जेबें गर्म हैं? क्या अतिक्रमणकारियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है?
जब अंबिकापुर जैसे इलाकों में बुलडोजर चल सकता है, तो मरवाही में बुलडोजर क्यों नहीं?
अब जनता कर रही है माँग –
मरवाही में तत्काल अतिक्रमण की पहचान कर अभियान चलाया जाए
दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही हो
हर स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही तय हो
अब वक्त आ गया है कि ‘जंगल के रखवाले’ ही अगर ‘जंगल लूटने वालों’ के साथ खड़े हों, तो जनता को आवाज़ उठानी ही पड़ेगी!

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT