Search
Close this search box.

अवैध रेत खनन पर बिलासपुर हाईकोर्ट सख्त: “जुर्माना लगाना काफी नहीं, संज्ञेय अपराध की श्रेणी में लाएं”, खनिज सचिव और प्रशासन से मांगा जवाब

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बेलगाम अवैध रेत खनन पर अब न्यायपालिका की सख्त नजर है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि “सिर्फ जुर्माना लगाना पर्याप्त नहीं, रेत खनन को संज्ञेय अपराध घोषित कर कठोर कार्रवाई की जाए।” हाईकोर्ट ने खनिज सचिव, वन विभाग और संबंधित जिलों के प्रशासन से इस संबंध में जवाब भी मांगा है।
❝प्रशासन की निष्क्रियता पर फटकार❞
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि रेत माफियाओं को सिर्फ जुर्माना भरने का विकल्प देना एक दोषपूर्ण व्यवस्था है। माफिया जुर्माना चुकाकर फिर से अवैध खनन में लग जाते हैं और शासन को करोड़ों का नुकसान होता है। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि “खनन अधिनियम में उपलब्ध कठोर दंड प्रावधानों का उपयोग क्यों नहीं हो रहा?”
❝बलरामपुर कांड ने बढ़ाई अदालत की चिंता❞
बलरामपुर में हाल ही में एक पुलिस कांस्टेबल की ट्रैक्टर से कुचलकर मौत के मामले को लेकर कोर्ट बेहद नाराज दिखा। कोर्ट ने इसे “व्यवस्था की विफलता का दर्पण” बताया और कहा कि अगर समय रहते प्रशासन कार्रवाई करता, तो ऐसी घटनाएं न होतीं।
❝स्थानीय प्रशासन की चुप्पी संदेह के घेरे में❞
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के कोलबिरा-पथर्रा क्षेत्र में सोन नदी में लगातार हो रहे अवैध खनन पर भी इसी तरह की निष्क्रियता देखी जा रही है। हाईकोर्ट के आदेशों और खनिज सचिव के स्पष्ट निर्देश के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या माफियाओं को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है?
📌 अब सवाल यह – हाईकोर्ट की सख्ती के बाद भी क्या प्रशासन हरकत में आएगा? या फिर सोन नदी यूं ही लूटी जाती रहेगी?
🛑 “न्यायपालिका ने आवाज उठा दी है – अब बारी शासन और प्रशासन की है। अवैध रेत खनन को रोकने के लिए सिर्फ आदेश नहीं, एक्शन जरूरी है।”
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

Leave a Comment

और पढ़ें