27 साल से सिस्टम को छलता एक बाबू – मरवाही शिक्षा विभाग में फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का बड़ा खुलासा, अधिकारी मौन!
मरवाही (जीपीएम)।
मरवाही विकासखंड शिक्षा कार्यालय में वर्षों से जमे एक बाबू की फर्जी नियुक्ति और उस पर बनी चुप्पी आज सवालों के कटघरे में है। सहायक ग्रेड-2 जीवनलाल यादव, जिनकी नियुक्ति अनुकंपा के नाम पर की गई थी, अब गंभीर विवादों के घेरे में हैं। आरोप है कि न सिर्फ उनकी अनुकंपा नियुक्ति संदिग्ध है, बल्कि उन्होंने अपनी बहन को भी इसी “अनुकंपा तंत्र” के जरिए कन्या छात्रावास मरवाही में रसोइया पद दिला दिया – वो भी बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के।
एक अनुकंपा – दो नौकरियाँ!
प्रश्न ये उठता है कि जब अनुकंपा नीति स्पष्ट रूप से एक मृत कर्मचारी के एक परिजन को नौकरी देने की बात करती है, तो फिर दो लोगों को एक ही मृत्यु पर नौकरी कैसे मिल गई? क्या ये नीति की खुली धज्जियां उड़ाना नहीं है।
पहुंच ऐसी कि अफसर भी डरें!
जीवनलाल यादव की पकड़ और “पावर” का आलम ये है कि विभागीय उच्च अधिकारी भी उनके खिलाफ कार्रवाई करने से कतराते हैं। कई बार शिकायतें होने के बावजूद, हर बार मामला दबा दिया गया। वर्ष 2023 में ‘संचालनालय लोक शिक्षण, रायपुर’ में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी, मगर अब तक न तो कोई जांच पूरी हुई, न ही किसी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई हुई।
मरवाही में बना “बाबू राज”
27 वर्षों से अपनी पकड़ बनाए बैठे इस बाबू ने शिक्षा विभाग में अपना ऐसा साम्राज्य खड़ा किया है, जिसमें हर कोई खामोश है। जो बोलने की कोशिश करता है, उसकी आवाज दबा दी जाती है। सिस्टम में सड़ांध की ये हालत तब है जब शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग की विश्वसनीयता दांव पर लगी है।
क्या अब भी चुप रहेंगे जिम्मेदार?
मरवाही के लोग अब जवाब चाहते हैं। क्या फर्जी अनुकंपा नियुक्तियों पर चुप्पी साधे अधिकारी खुद भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं? या फिर यह केवल “डर और दबाव” का खेल है?
अब वक्त है – कार्रवाई का।
जनता जानना चाहती है:
कैसे हुआ एक ही मृतक के नाम पर दो अनुकंपा नियुक्तियाँ?
आखिर कब तक एक फर्जी बाबू को बचाती रहेगी सिस्टम?
क्या शिक्षा विभाग की छवि यूं ही गिरती रहेगी?
प्रशासन जवाब दे – और दोषियों को बख्शा न जाए।

Author: Deepak Gupta
professional journalist