Search
Close this search box.

नगर परिषद गौरेला की लापरवाही ने खोली सुशासन की पोल: ईमानदार व्यापारी की छवि धूमिल, CMO नारायण साहू सवालों के घेरे में

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

गौरेला – एक ओर जहां सरकार “सुशासन” का दम भरती है, वहीं नगर परिषद गौरेला का ताजा मामला इस दावे की पोल खोलता नजर आ रहा है। नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) नारायण साहू की गंभीर लापरवाही के चलते एक ईमानदार टैक्सदाता व्यापारी की सामाजिक छवि को गहरा आघात पहुंचा है।
मामला तब सामने आया जब नगर परिषद की ओर से ‘टैक्स न भरने वालों’ की सार्वजनिक सूची जारी की गई, जिसमें स्थानीय व्यापारी का नाम भी शामिल था। चौंकाने वाली बात यह रही कि उक्त व्यापारी ने न केवल समय पर टैक्स का भुगतान किया था, बल्कि उसके पास रसीद और सभी आवश्यक दस्तावेज़ भी मौजूद हैं।

बिना पुष्टि जारी की गई सूची

यह सूची नगर परिषद कार्यालय में सार्वजनिक रूप से चस्पा कर दी गई और सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई। इससे उस व्यापारी को सामाजिक और व्यावसायिक दोनों ही स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों और ग्राहकों में उसके प्रति गलत धारणा बनने लगी, जिससे उसकी प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचा है।

क्या CMO ने बिना जांच के लगा दी मुहर?

CMO नारायण साहू की भूमिका इस पूरे मामले में बेहद संदिग्ध मानी जा रही है। सवाल यह उठता है कि क्या उन्होंने बिना दस्तावेजों की जांच किए इस सूची पर हस्ताक्षर कर दिए? यदि हां, तो यह एक बड़ी प्रशासनिक चूक है। यदि नहीं, तो फिर सवाल उठता है कि किस आधार पर यह नाम सूची में डाला गया?

प्रशासनिक लापरवाही या सिस्टम की खामी?

यह घटना महज़ एक छोटी गलती नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक तंत्र की गहराई से जड़ जमा चुकी लापरवाही का उदाहरण है। इससे न केवल एक नागरिक का चरित्र हनन हुआ है, बल्कि पूरे सरकारी सिस्टम की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या होगी कार्रवाई?

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या राज्य सरकार और उच्च प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर CMO नारायण साहू के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी? या फिर यह मामला भी अन्य प्रशासनिक लापरवाहियों की तरह फाइलों में दब जाएगा?
स्थानीय जनता और व्यापारी संघों में इस घटना को लेकर आक्रोश व्याप्त है। सभी की एक ही मांग है – दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो और भविष्य में किसी भी नागरिक के साथ ऐसा अन्याय न हो
“सुशासन” की असली तस्वीर अगर देखनी है, तो नगर परिषद गौरेला का यह मामला एक आइना है। अब देखना ये है कि सरकार इस आईने को देखकर आंखें खोलती है या फिर मोतीचूर के लड्डू बांटकर अपनी पीठ थपथपाती रहती है।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

Leave a Comment

और पढ़ें