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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में किचन शेड मरम्मत योजना में बड़ा घोटाला, लाखों का बजट, कागजों पर मरम्मत, जमीनी हकीकत शर्मनाक!

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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में शिक्षा विभाग द्वारा संचालित किचन शेड मरम्मत योजना में बड़े पैमाने पर घोटाला: विकासखंड शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी की मिलीभगत से लाखों का गबन!
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (छत्तीसगढ़) – शिक्षा विभाग द्वारा संचालित किचन शेड मरम्मत योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है। 2024-25 में जिले के 294 प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं के लिए 29 लाख 40 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। यह राशि शालाओं के किचन शेड के मरम्मत कार्य के लिए थी, लेकिन जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक और घोटाले से भरी हुई है।
सूत्रों के अनुसार, विकासखंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) और जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने योजना का जमकर दुरुपयोग किया। योजना के तहत शालाओं से 3000 रुपए प्रति स्कूल अवैध कमीशन के रूप में वसूले गए। इसके बाद, बाकी बचे हुए पैसे को प्रधान पाठकों द्वारा हड़प लिया गया। नतीजतन, कई शालाओं के किचन शेड अब भी खतरनाक और जर्जर हालत में हैं, जो बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।
कागजों में सब कुछ ठीक दिखाया गया, जबकि असल में मरम्मत का कार्य न के बराबर हुआ। कई स्कूलों में केवल नाममात्र की पुताई की गई, जबकि कई स्कूलों में तो मरम्मत कार्य शुरू ही नहीं हुआ। इसके बावजूद, अधिकारियों ने केवल कागजी काम पूरा किया और मरम्मत कार्य की फर्जी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत कर दी।
इस घोटाले में विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) और जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) की मिलीभगत साफ-साफ नजर आ रही है। शासन द्वारा दिए गए स्पष्ट आदेशों के बावजूद न तो निर्माण एजेंसियों ने काम को ठीक से किया और न ही शिक्षा विभाग ने इस पर निगरानी रखी। इससे यह साबित हो रहा है कि सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया और बच्चों की सुरक्षा एवं भोजन की गुणवत्ता से खिलवाड़ किया गया।
ग्रामीणों, अभिभावकों और जनता में इस घोटाले को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और हड़प की गई राशि की वसूली की जाए। इसके अलावा, शालाओं के किचन शेड की मरम्मत के लिए नए सिरे से गुणवत्तापूर्ण कार्य किए जाने की भी मांग की गई है, ताकि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के अधिकार को नुकसान न पहुंचे।
ऐसे अधिकारियों के खिलाफ विस्तृत जांच कर सरकारी राशि गबन करने के जुर्म में उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इन अधिकारियों को जेल भेजा जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सके और सरकारी धन का दुरुपयोग करने वाले दोषियों को कड़ी सजा मिले। अगर सही मायने में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को बचाना है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस घोटाले की सही मायने में जांच होगी या फिर हमेशा की तरह इसे दबा दिया जाएगा? अगर सही मायने में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को बचाना है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
यह घोटाला यह दर्शाता है कि कैसे अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा सकता है, और यदि सही समय पर इस पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो ऐसे भ्रष्टाचार को हमेशा के लिए बढ़ावा मिलेगा।
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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