जिला शिक्षा अधिकारी और जिला प्रशासन पर गंभीर सवाल: फर्जी संविलियन और वेतन घोटाले में संलिप्तता के आरोप
गौरेला पेंड्रा मरवाही: शिक्षा विभाग में एक बड़े घोटाले के मामले ने अब जिला शिक्षा अधिकारी और जिला प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। यह मामला अब तक की जांच में कई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के संकेत देता है, और इसमें अधिकारियों की संलिप्तता की बात सामने आ रही है। घोटाले के आरोपों के बीच, जिला शिक्षा अधिकारी और प्रशासन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने इतने गंभीर मुद्दे को नजरअंदाज क्यों किया और फर्जी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की।
1. जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश शास्त्री पर आरोप:
आवेदक ने जिला शिक्षा अधिकारी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अभिलाषा राय जैसे फर्जी कर्मचारी के मामले में लेन-देन करके इसे रफादफा किया। यह आरोप बेहद गंभीर हैं, क्योंकि अगर मामला सही है तो इसमें न केवल विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं, बल्कि लाखों रुपये के वित्तीय नुकसान की भी आशंका है। जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा आरोपित किए गए कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई न करना और इस पूरे मामले को लटकाए रखना विभागीय भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
2. जिला प्रशासन की भूमिका:
इतने बड़े घोटाले में जिला प्रशासन की भी भूमिका संदेह के घेरे में है। सवाल यह उठता है कि इतने गंभीर मुद्दे पर जिला प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? अगर प्रशासन की ओर से समय रहते जांच की जाती, तो शायद यह घोटाला उजागर होने से पहले ही रुक सकता था। जिला प्रशासन की चुप्पी और मामले की अनदेखी पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सब राजनीतिक दबाव या अन्य कारणों से किया गया है।
3. फर्जी संविलियन और वेतन भुगतान:
मामले में यह भी खुलासा हुआ है कि अभिलाषा राय के लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के बावजूद उन्हें फर्जी तरीके से संविलियन का लाभ दिया गया और वेतन भुगतान किया गया। यह प्रक्रिया पूरी तरह से कानून के खिलाफ है, और ऐसे मामलों में जिला शिक्षा अधिकारी का जिम्मेदारी थी कि वह इस पर कड़ी निगरानी रखते। लेकिन इसके बावजूद, उन्हें इस घोटाले पर कार्रवाई करने की बजाय मामले को लटकाए रखा।
4. संलिप्तता की जांच:
अब यह सवाल सामने आता है कि क्या जिला शिक्षा अधिकारी और जिला प्रशासन इस घोटाले में संलिप्त हैं या उन्हें इस मामले में कोई व्यक्तिगत लाभ मिल रहा था? क्या जांच के दौरान इन अधिकारियों की भूमिका पर भी विचार किया जाएगा, और अगर नहीं, तो यह शिक्षा विभाग और प्रशासन के लिए एक बड़ा सवाल बनेगा।
निष्कर्ष:
यह मामला केवल एक भ्रष्टाचार का मामला नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त गहरे संकट की ओर इशारा करता है। अगर इन अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह घोटाला सिर्फ एक उदाहरण बनकर रह जाएगा और भविष्य में और अधिक कर्मचारी फर्जी तरीके से सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाएंगे। इस घोटाले को लेकर जिला प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी की संलिप्तता की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि इस मामले की पूरी सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा मिल सके।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT