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कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा:- जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक में पदस्थ मनरेगा तकनीकी सहायक को नियम विपरीत कार्यक्रम अधिकारी के रूप में तैनात कर दिया गया है, जो कार्यों का मूल्यांकन के साथ राशि भुगतान भी कर रहे है। इसे लेकर विभागीय गलियारे में आम चर्चा हो रही है कि जिले में कार्यरत अन्य अनुभवी तकनीकी सहायकों को छोड़ आखिर किस रसूख के कारण तकनीकी सहायक को उसी ब्लाक में कार्यक्रम अधिकारी की जिम्मेदारी सौंप दी गई।
गौरतलब है कि पोड़ी जनपद कार्यालय के मनरेगा शाखा के कार्यक्रम अधिकारी के दायित्व पर तकनीकी सहायक दिलीप मेहता को बिना मापदंड के चयन किया गया है, जो संबंधित कार्यों का मूल्यांकन भी कर रहे और भुगतान की प्रक्रिया भी सम्हाल रहे है। जबकि पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक में कुल 16 एवं जिले भर में 38 तकनीकी सहायक कार्यरत है। ऐसे में अन्य अनुभवी के स्थान पर नियम के विपरीत दिलीप मेहता को कार्यक्रम अधिकारी का प्रभार सौंपे जाने मामले को लेकर सवाल उठ रहे है। क्योंकि तकनीकी सहायक का पद कार्यक्रम अधिकारी के पद से अलग होता है और इसकी नियुक्ति के लिए अलग प्रक्रिया निर्धारित होती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार मनरेगा में कार्यक्रम अधिकारी की भूमिका मुख्य रूप से कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन और निगरानी से जुड़ी होती है।
इसमें कार्य की मांग का आंकलन, रोजगार सृजन, मजदूरी का भुगतान और काम की गुणवत्ता सुनिश्चित करना शामिल है। जिसके तहत कार्यक्रम अधिकारी ग्राम पंचायत से प्राप्त प्रस्तावों को संवीक्षा करके ब्लाक योजना में समेकित करते है और रोजगार के अवसरों को ग्राम पंचायत में काम की मांग के साथ निभाते है। वे सुनिश्चित करते है कि काम मांगने वाले मजदूरों को 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध और मजदूरी का उचित भुगतान हो। साथ ही कार्य मनरेगा के नियमो के अनुसार व काम की गुणवत्ता अच्छी हो। कार्यक्रम अधिकारी काम के प्रगति की निगरानी और किसी भी समस्या को हल करने के लिए आवश्यक कदम उठाते है तथा वे सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया में भी भाग लेते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते है। वे रोजगार सहायकों व मेटों का चयन कर उन्हें कार्य के लिए प्रशिक्षित करने एवं मजदूरों को मनरेगा के तहत दिए गए सभी अधिकारों का लाभ दिलाने को लेकर कार्य करते हुए मनरेगा कार्य के बारे में नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करते है।
जबकि तकनीकी सहायकों का कार्य योजना को सफलतापूर्वक लागू करने, ग्राम पंचायत को कार्य के निर्धारण, मापन और तकनीकी पर्यवेक्षक में मदद करना है। इसके अतिरिक्त वे प्राकलन बनाते है और ग्राम पंचायत द्वारा किये जा रहे कार्यों की वास्तविक जांच कर मूल्यांकन करते हुए यह सुनिश्चित करते है कि कार्य मनरेगा के नियमो और मानकों के अनुसार किये जा रहे है और कार्य की गुणवत्ता ठीक है। इस प्रकार तकनीकी सहायक की जिम्मेदारी मनरेगा के तहत किये जाने वाले कार्यों का निर्धारण और मापन से लेकर मूल्यांकन तक होता है, वहीं कार्यक्रम अधिकारी की जवाबदेही पंचायतों के प्रस्तावों की संवीक्षा से लेकर भुगतान किए जाने और शीर्ष अधिकारियों को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने की होती है। लेकिन पोड़ी उपरोड़ा जनपद में तकनीकी सहायक को ही कार्यक्रम अधिकारी की जवाबदारी दे दी गई, जो अपने अधीनस्थ पंचायतों में चलने वाले मनरेगा कार्यों का मूल्यांकन के साथ जनपद से समग्र पंचायतों का भुगतान भी कर रहे है।
ऐसे में जिले के अन्य अनुभवी तकनीकी सहायकों को दरकिनार कर स्थानीय स्तर पर कार्यरत मनरेगा तकनीकी सहायक को उसी ब्लाक का संबंधित अधिकारी बना दोहरे जिम्मेदारी दिए जाने को लेकर सवाल खड़े होने तो लाजिमी है। बहरहाल मनरेगा कार्यों में बड़ा खेला हो रहा है और बगैर पंचायत प्रस्ताव अघोषित ठेकेदारों के माध्यम से कार्य स्वीकृत हो रहे है तथा ऐसे कार्यों को स्वीकृति मिल रही है जिसे मनरेगा योजना में स्वीकृत किया जाना संभव नही है। जिसे आगामी खबर में प्रसारित किया जाएगा।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT