कोरबा / पसान // कोरबा जिला के कटघोरा वनमंडल का वन परिक्षेत्र पसान भ्रष्टचार का अड्डा बना हुआ हैं, वन परिक्षेत्र में मजदूरों को मजदूरी भुगतान के लिए धरना देना पड़ रहा है, बता दे मध्यप्रदेश के मजदूर अपनी मजदूरी पाने के लिए वन परिक्षेत्र पसान कार्यालय के सामने सप्ताह भर से बैठे हुए हैं ,पर अधिकारियों के कान में जू तक नहीं रेग रहा है ,
पूरा मामला जलके बीट का है जहां जलके , सीपत पारा में पौधरोपण , तार घेराबन्दी ,आदि काम के लिए वनविभाग के द्वारा मध्यप्रदेश से 40 ,50 की संख्या में मजदूर बुलाकर काम कराया गया था ,काम कराने के बाद मजदूरों के घर जाने के लिए कुछ राशि उन्हें दी गई शेष राशि को देने के लिए डिप्टी रेंजर ने बाकायदा सील मुहर के साथ मजदूरी का भुगतान करने का लिखित आश्वासन दे दिया था, लिखित आश्वासन के मद्देनजर मजदूर पसान के वन विभाग के कार्यालय के सामने अपने परिवार के साथ बैठे हुए हैं ,उनका कहना है कि जब तक मजदूरी का भुगतान नहीं होगा हम यहाँ से नही जाएंगे ,चाहे हमारी जान ही ना क्यो चली जाए
क्या नगद भुगतान करने का नियम है
वन विभाग में मजदूरी के भुगतान के लिए नगद भुगतान मामले में पेच फ़स सकता है ,क्योंकि काम किसी भी मद का हो नगद भुगतान नहीं किया जा सकता ,जबकि डिप्टी रेंजर ने 50,000 नगद राशि का भुगतान किया है और शेष राशि को देने के संबंध में लिखित आश्वासन दिया है,
रेंजर ने बिल बाउचर अभी तक नही बनाया तो भुगतान कैसे हुआ,
पसान रेंजर रामनिवास दहायत ने बताया की कितने मजदूर काम किये हैं ,कितना भुगतान होना है ,यह अभी क्लीयर नही है ,इसका मतलब साफ है की जब वन परिक्षेत्र अधिकारी को जानकारी नहीं है ,मतलब बिल बाउचर नही बना है ,क्योंकि बिल जमा होता तो अधिकारी को जानकारी होती,
डिप्टी रेंजर किस भरोसे में लिखित आश्वासन दिया
विभागीय कर्मचारियों को भुगतान करने की प्रक्रिया मालूम रहती हैं अगर अभी कार्य का बिल ही नही लगा है तो किस भरोसे में लिखित आश्वासन दिया गया ,
क्या कमीशन के खेल में फसा बिल बाउचर
मजदूरों का मजदूरी भुगतान कही रेंजर और डिप्टी रेंजर के बीच बटवारे में तो नही फ़स गया ,क्योंकि इस काम की राशि बिल लगाते ही निकल जाता है ,पर इस मामले में रेंजर ने अभी तक बिल ही पेश नही किया है,अब देखना है मामला अधिकारियों के संज्ञान में आने पर क्या कार्यवाही करते हैं

Author: Ritesh Gupta
Professional journalist