डिप्टी रेंजर अमित कुजूर पर कब होगी कार्यवाही
कोरबा // पसान :: कटघोरा वनमंडल हमेशा से शुर्खियो में रहता है चाहे वह स्टापडैम में भ्रष्टाचार हो, कोयला चोरी में विभाग की संलिप्तता हो या फर्जी पौधरोपण हो यहां एक मामला शांत नहीं हो पाता दूसरा मामला प्रकाश में आ जाता है,
ताजा मामला वन परिक्षेत्र पसान का है, जहाँ जंगल में कोयला उत्खनन से चर्चा में आए पसान वन परिक्षेत्र के अफसर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने स्थानीय मजदूरों को नजरअंदाज कर एमपी से श्रमिक बुला लिए। उनसे करीब दो माह तक पौधरोपण व तार फेसिंग का काम कराया, जब पगार देने की बारी आई तो गोलमोल जवाब देने लगे। मामला कलेक्टर के संज्ञान में आते ही वन अफसरों को नियम कायदों को ताक पर रख 3 लाख 50 हजार कर नगद मजदूरी भुगतान कर दिया, तब कहीं जाकर मजदूर गृहग्राम के लिए रवाना हुए।
कलेक्टर की संवेदनशीलता आई सामने
पसान क्षेत्र में काम करने के बाद मजदूरी नही मिलने से मजदूर बेहद परेशान थे। उनके सामने भूखे रहने की नौबत आ गई थी। वे देर शाम किसी तरह कलेक्ट्रेट आ पहुंचे। कलेक्टर अजीत वसंत की नजर दफ्तर से निकलते समय मजदूरों पर पड़ी। उनके सामने मजदूरों ने अपनी व्यथा सुनाई। जिसे कलेक्टर ने गंभीरता से लिया। उनके निर्देश पर मजदूरों को भरपेट भोजन मिल सका।
इस खबर के माध्यम से कटघोरा वनमंडल के पसान वनपरिक्षेत्र में अफसरों की मनमानी को उजागर किया गया। साथ ही मध्यप्रदेश से पहुंचे मजदूरों को अफसरशाही के कारण होने वाली परेशानी का सामने लाया गया था। एमपी के उमरिया क्षेत्र में रहने वाले करीब 55 मजदूर परिवार सहित काम करने पहुंचे थे। उन्हें वन अफसरों ने क्षेत्र में मजदूर नही मिलने का हवाला देकर बुलाया था। इन मजदूरों से जलके सर्किल के सीपतपारा में दो माह से अधिक दिनों तक पौधरोपण व तार फेसिंग का काम कराया गया। इसके एवज में रक्षाबंधन के लिए घर जाते समय बतौर एडवांस 55 हजार रूपए दिए गए, शेष रकम को 30 अगस्त तक देने का लिखित आश्वासन डिप्टी रेंजर अमित कुजुर ने दिया था, लेकिन वे वादे पर खरे नहीं उतरे। इधर मजदूरी नही मिलने से श्रमिको के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई। वे सीधे रेंज कार्यालय जा पहुंचे, जहां मजदूरी तो नही मिली, लेकिन रेंजर से फटकार व धमकी जरूर सुनने को मिली। जिससे हताश मजदूर कलेक्ट्रेट कार्यालय जा पहुंचे।
कलेक्टर अजीत बसंत ने समस्या को गंभीरता से लिया
उनकी समस्या को कलेक्टर अजीत वसंत ने गंभीरता से लिया। इस बात की भनक लगते ही वन अफसर हरकत में आ गए। डिप्टी रेंजर ने तमाम नियम कायदों को दरकिनार कर मजदूरों को 3 लाख 50 हजार रूपए नगद भुगतान किया। साथ ही शेष रकम करीब डेढ़ लाख रूपए को उनके खाते में जमा कराने का आश्वासन दिया, तब कहीं जाकर मजदूर गृहग्राम के लिए रवाना हुए।
डिप्टी रेंजर ने माना नगद भुगतान का प्रावधान नहीं
एमपी के मजदूरों को मजदूरी भुगतान व उनकी घर वापसी के संबंध में डिप्टी रेंजर अमित कुजुर मजदूरी भुगतान करने की बात तो कहीं, लेकिन राशि का जानकारी नही दी। उन्होने मजदूरी भुगतान के नियम संबंधी सवाल पर नगद भुगतान

Author: Ritesh Gupta
Professional journalist