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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही की सड़कें बनी भ्रष्टाचार का गढ़ – कलेक्टर की खामोशी से ठेकेदारों और कमीशनखोर अफसरों का बोलबाला

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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही की सड़कें बनीं भ्रष्टाचार का अड्डा, कलेक्टर की चुप्पी से सिस्टम सवालों के घेरे में
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM), छत्तीसगढ़।
जिले की सड़कों की हालत इन दिनों चिंताजनक है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना समेत तमाम परियोजनाओं के अंतर्गत करोड़ों रुपये की लागत से बनी सड़कें कुछ ही महीनों में जर्जर हो चुकी हैं। गड्ढों में तब्दील हो चुकी इन सड़कों पर चलना अब जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है।
प्रशासनिक चुप्पी ने खोले भ्रष्टाचार के दरवाजे
स्थानीय जनता का आरोप है कि कलेक्टर सहित जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह उदासीन हैं। अफसरों की खामोशी और निष्क्रियता ने ठेकेदारों और कमीशनखोर इंजीनियरों को खुली छूट दे दी है। आरोप है कि करोड़ों की लागत से तैयार की गई सड़कों में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल कर गुणवत्ताविहीन कार्य किया गया है।
जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
सड़क निर्माण में अनियमितताओं के बावजूद न तो मौके पर गुणवत्ता जांच हो रही है, न ही ठेकेदारों या इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई। सड़कें जहां उखड़ रही हैं, वहां सिर्फ कागजों में निरीक्षण और रिपोर्टिंग की जा रही है।
मामला उदाहरणस्वरूप: एक सड़क, कई सवाल
योजना: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
लागत: ₹31 लाख
कार्य प्रारंभ: 24 दिसंबर 2024
लंबाई: 1.24 किमी
गारंटी अवधि: 5 वर्ष
स्थिति: निर्माण के कुछ हफ्तों बाद ही सड़क उखड़ना शुरू
जनता का आक्रोश फूटने लगा है
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अब सब्र जवाब दे रहा है।
> “हमें सड़क के नाम पर सिर्फ धूल और गड्ढे मिले हैं। अब चुप नहीं बैठेंगे। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो कलेक्टोरेट का घेराव करेंगे।”
जनता की प्रमुख मांगें:
1. सभी सड़कों की स्वतंत्र तकनीकी जांच कराई जाए,
2. दोषी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
3. निर्माण कार्यों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए।
4. भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हो।:
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में सड़कें नहीं, भ्रष्टाचार की कहानियाँ बिछाई जा रही हैं। जनता अब जाग चुकी है। सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन भी इस गड़बड़ी में शामिल है या सिर्फ मूक दर्शक बना बैठा है? अब समय आ गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए और भ्रष्ट तंत्र को बेनकाब किया जाए।
“सड़कें टूटी हैं, लेकिन अब जनता टूटने वाली नहीं।”
Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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