मरवाही शिक्षा विभाग में करोड़ों के घोटाले की परतें खुलीं: जिला शिक्षा अधिकारी को हटाया गया, लेकिन तत्कालीन बीईओ और स्टोर प्रभारी राकेश गुप्ता पर रहस्यमयी चुप्पी क्यों?
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। मरवाही विकासखंड के शिक्षा विभाग में बच्चों के अधिकारों पर डाका डालने वाला घोटाला सामने आने के बावजूद विभागीय कार्रवाई की रफ्तार चौंकाने वाली है। जिला शिक्षा अधिकारी को तो आनन-फानन में हटा दिया गया, लेकिन लाखों रुपये के भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप झेल रहे तत्कालीन ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और पूर्व स्टोर प्रभारी राकेश गुप्ता पर अब तक कार्यवाही नहीं हुई हैं। आखिर कब तक इन्हें प्रशासनिक संरक्षण मिलता रहेगा?
सूत्रों के अनुसार, बच्चों की यूनिफॉर्म, किताबें और मध्याह्न भोजन से जुड़ी सामग्री को बाजार में बेच दिया गया। वर्ष 2014-15 में खरीदे गए यूनिफॉर्म के थान कपड़े कार्यालय में धूल खा रहे थे, जिन्हें सिलवाने की प्रक्रिया नहीं हो सकी। मगर तत्कालीन बीईओ और स्टोर प्रभारी ने इन कपड़ों को चोरी-छिपे बेच डाला। आरोप है कि सबूत मिटाने के लिए स्टॉक रजिस्टर और वितरण पंजी तक गायब कर दिए गए।
इतना ही नहीं, बच्चों को वितरित की जाने वाली शैक्षणिक किताबें, मिड-डे मील के बर्तन और राशन भी बाजार में खपाने के आरोप हैं। संयुक्त संचालक बिलासपुर ने इस गंभीर घोटाले को लेकर रायपुर स्थित लोक शिक्षण संचालनालय को कार्रवाई हेतु पत्र भेजा, लेकिन न कार्रवाई हुई, न जवाब आया।
क्या तत्कालीन बीईओ और राकेश गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई रोकने के पीछे कोई ऊपरी दबाव है? क्या विभागीय अधिकारियों की चुप्पी मिलीभगत का संकेत है?
जब इसी तरह के मामले में पूर्व में पाठ्य पुस्तक निगम के अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, तो फिर शिक्षा विभाग में बैठे इन ‘घोटालेबाजों’ पर मेहरबानी क्यों?
अब जब जिला शिक्षा अधिकारी को हटा दिया गया है, तो जनता पूछ रही है—”लाखों का घोटाला करने वाले तत्कालीन ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और स्टोर प्रभारी रहे राकेश गुप्ता को कब हटाया जाएगा?”
क्या शिक्षा विभाग बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को यूं ही बख्श देगा? जनता जवाब चाहती है। कार्रवाई ?अब नहीं तो कब?

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT