कोरबा/मरवाही। छत्तीसगढ़ में सत्ता बदल गई, लेकिन भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई अब भी अधूरी है। कांग्रेस शासन में फला-फूला मरवाही रेंजर रमेश खैरवार का करोड़ों का वन घोटाला आज भी खुली चुनौती बना हुआ है – अब सवाल यह है कि भाजपा सरकार कब जागेगी?
वर्ष 2017 में कोरबा वन मंडल के पसरखेत रेंज में रमेश खैरवार ने कक्ष क्रमांक 1331 (57.108 हेक्टेयर) में बिना कोई कार्य किए फेसिंग, सीबीओ और पौधा बदली जैसे कार्यों की झूठी रिपोर्ट बना दी। न एक पौधा लगा, न बाड़ बनी – पर पैसा पूरा निकाला गया।
इस संगीन घोटाले पर 12 जुलाई 2019 को रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने विधानसभा में प्रश्न क्रमांक 334 के तहत सरकार से जवाब मांगा। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मामले की सही जांच तक नहीं कराई। उल्टा, कोरबा डीएफओ एस. गुरुनाथन और एसडीओ आशीष खैरवार ने शिकायत को दबा दिया।
अब जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जनता को उम्मीद थी कि ऐसे भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई होगी। लेकिन रमेश खैरवार आज भी सेवा में है, और फर्जी दस्तावेज बनाकर सरकारी धन डकारने वालों पर न तो एफआईआर हुई, न निलंबन।
क्या कांग्रेस की तरह भाजपा सरकार भी भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण दे रही है? क्या यह “भ्रष्टाचार मुक्त शासन” का वादा सिर्फ चुनावी जुमला था?
मरवाही क्षेत्र की जनता, जागरूक नागरिक और पर्यावरण कार्यकर्ता खुलकर सवाल उठा रहे हैं –
“जब गुनहगार पहचाना जा चुका है, तो कार्रवाई में देरी क्यों?”
“क्या भाजपा सरकार कांग्रेस के भ्रष्टाचारियों को ढोने का काम करेगी?”
अब वक्त है कि मुख्यमंत्री और वन मंत्री इस गंभीर मामले का संज्ञान लें, और रमेश खैरवार सहित सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर तत्काल निलंबन, एफआईआर और विभागीय जांच सुनिश्चित करें।

Author: Ritesh Gupta
Professional JournalisT