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शिक्षा विभाग में खुली बगावत: शासन के आदेश की धज्जियां, पढ़ाई छोड़ दफ्तर में बैठाया शिक्षक, जिला शिक्षा अधिकारी की मनमानी उजागर”

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“शासन के निर्देशों की अवहेलना: शिक्षक को बिना अनुमति जिला कार्यालय में किया गया संलग्न
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, 02 अप्रैल 2025: शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने और शिक्षकों को केवल शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने संबंधी शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद जिले में एक गंभीर अनियमितता सामने आई है। जिला शिक्षा अधिकारी, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही द्वारा एक शिक्षक को अनधिकृत रूप से जिला कार्यालय में संलग्न किए जाने का मामला उजागर हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धनौली, विकासखंड गौरेला में पदस्थ व्याख्याता श्री मुकेश कोरी को विभागीय आदेशों के विपरीत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में संलग्न कर दिया गया है। यह संलग्नता बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति और बिना किसी वैध प्रशासनिक आदेश के की गई, जिससे शासन के नियमों की स्पष्ट अवहेलना प्रतीत होती है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पूर्व में भी कई बार यह निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि विद्यालयीन शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक और कार्यालयीन कार्यों में न लगाया जाए, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो। ऐसे में यह मामला शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
छत्तीसगढ़ शासन (तथा भारत के अन्य राज्यों) में शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में संलग्न करने के संबंध में समय-समय पर स्पष्ट आदेश जारी किए गए हैं। इनका मुख्य उद्देश्य यह है कि शिक्षक केवल शैक्षणिक कार्यों में संलग्न रहें ताकि बच्चों की शिक्षा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
प्रमुख बिंदु जो सामान्यतः ऐसे आदेशों में होते हैं:
1. शिक्षकों को केवल शैक्षणिक कार्यों में ही लगाया जाए।
2. किसी भी शिक्षक को कार्यालयीन/गैर-शैक्षणिक कार्यों जैसे डाटा एंट्री, सर्वे, निर्वाचन, आदि में स्थायी रूप से नहीं लगाया जाए।
3. यदि किसी विशेष परिस्थिति में शिक्षक की आवश्यकता हो, तो उसके लिए सक्षम प्राधिकारी की अनुमति आवश्यक होती है।
4. जिला या ब्लॉक स्तर पर बिना आदेश के कार्यालयों में शिक्षकों की संलग्नता शासनादेश का उल्लंघन मानी जाती है।
5. राज्य शिक्षा विभाग द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि शिक्षकों की कमी की स्थिति में कोई भी गैर-शैक्षणिक कार्य उनके माध्यम से नहीं करवाया जाए।
उदाहरण के रूप में, छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 2019 और 2021 में जारी आदेशों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “शिक्षकों को शैक्षणिक कार्यों से अलग कर अन्य विभागीय या कार्यालयीन कार्यों में लगाना वर्जित है, जब तक कि विशेष अनुमति प्राप्त न हो।”

अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या संबंधित अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

Ritesh Gupta
Author: Ritesh Gupta

Professional JournalisT

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