कोरबा/कटघोरा 15 सितम्बर 2024 : केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ग्रामीण स्तर पर दम तोड़ते नजर आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रो मे बच्चे शिक्षा को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पढ़ने के लिए अच्छा भवन नहीं मिल पा रहा है कोरबा जिले के पोंडी उपरोड़ा ब्लाक में जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं, जो पूरी तरह जर्जर हो चुके है। कहीं निजी मकान में स्कुल संचालित हो रहा है तो कहीं पंचायत भवन मे कक्षाएं लगाने शिक्षक मजबूर हैं। इसके बाद भी शिक्षा विभाग न तो भवनों की मरम्मत करा रहा है और न ही नए भवन के लिए कोई प्रक्रिया शुरू की जा रही है। स्कूल जतन योजना के तहत केवल पहुंच मार्ग पर ही काम हो रहे हैं लेकिन जो हो रहे हैं वो भगवान भरोसे हो रहे हैं।
ताज़ा मामला है जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर पोड़ी उपरोड़ा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पाली के आश्रित मोहल्ला करमीआमा का है जहाँ भवन अत्यधिक जर्जर होने की वजह से विगत 3 वर्षो से एक किसान के घर संचालित हो रहा है जबकि पड़ोसी गांव मे ही स्कुल जतन योजना के तहत एक स्कुल का जीर्णोद्धार तो किया गया, लेकिन करमीआमा प्राथमिक शाला मरम्मत के लिए वँचित रह गया। शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से कई बार जिला प्रशासन व कलेक्टर जनदर्शन में इस समस्या से अवगत कराया गया लेकिन समस्या जस कि तस बनी हुई है। वही मकान मालिक द्वारा बच्चों का भविष्य ना बिगड़े ये सोचकर निस्वार्थ भाव से अपना मकान दे दिया और खुद छोटे से मकान मे समस्याओ के बीच जीवन गुज़ार रहे।
निजी भवन में स्कूल संचालन में हो रही परेशानी
स्कूल भवन जर्जर होने के कारण विद्यार्थियों की बैठक व्यवस्था गड़बड़ा गई है, जिससे पढ़ाई प्रभावित तो हो रही है साथ ही निजी भवन में खेल मैदान भी नहीं हैं, बच्चे घर के आँगन मे खेलने को मजबूर हैं। बच्चे भी चाहते हैं कि भवन जल्द से जल्द बने ताकि वे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके। वही स्कूल के हेड मास्टर का कहना है कि शासकीय भवन पूरी तरह जर्जर हो गया है स्कूल बारिश में गिरने की कगार पर पहुंच गया है इसलिए स्कूल के सामने एक निजी भवन में 3 वर्षों से स्कूल का संचालन करना पड़ रहा है। निजी भवन मे संचालन करने मे काफ़ी परेशानी होती है क्योंकि भवन मालिक घर के मेहमान आते है तो संतोष जनक हम बच्चो को नहीं पढ़ा पाते।
पुराने जर्जर भवन में बन रहा मध्यान्ह भोजन,
वही अगर पुराने और जर्जर स्कूल की भवन की बात करें तो भवन पूरी तह जर्जर हो चुका है इसलिए बच्चों की पढाई की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। स्कूल भवन के एक हिस्से में अभी मध्यान्ह भोजन बनाया जा रहा है जो अभी कुछ महीनों ही हुए हैं। रसोइयों ने बताया कि पहले मध्यान्ह भोजन के लिए एक निजी मकान का उपयोग किया जा रहा था लेकिन स्कूल भवन खाली होने से अब किचन वहीं शिफ्ट कर दिया गया है। रसोइयों का कहना है कि जर्जर स्कूल की स्थिति के कारण डर के साये में वे खाना बनाकर बच्चों को खिलाते हैं।
बच्चों का भविष्य न बिगड़े इसलिए दे दिया मकान का एक हिस्सा,
सबसे बड़ी बात की जिस निजी मकान में स्कूल संचालित हो रहा है वो मकान रिटायर्ड शिक्षक मोहन सिंग कोराम का है वो अपने सपरिवार के साथ यहां निवास करते हैं। शिक्षक मोहन सिंह ने बताया कि स्कूल की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी थी। स्कूल के शिक्षक डर के साये में बच्चों को पढ़ाया करते थे। बच्चे भी स्कूल जाने से डरते थे। गाव के बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्होंने अपने परिवार से रजामंदी लेकर बच्चों को पढ़ाने के लिए घर का एक हिस्सा दे दिया। उनका मानना है की बच्चो की पढ़ाई में कोई परेशानी नही आनी चाहिए।
पोड़ी विकास खंड मे दर्जनों भवन अधूरे है इन स्कूलों के अलावा अन्य भवन भी जर्जर हैं, लेकिन उनका भी मरम्मत नहीं किया जा रहा है। भले ही शिक्षा विभाग द्वारा बेहतर सुविधा व शिक्षा का दावा किया जाता है लेकिन वनाँचल क्षेत्रो मे उनके दावो कि पोल खोलता नजर आ रहा है यह व्यवस्था,अब देखना है कि बच्चो को कब तक भवन उपलब्ध हो पाता है और प्रशासन आगे क्या कदम उठाता है।

Author: Ritesh Gupta
Professional journalist